Sunday 14 September 2014

पथरी के लिए घरेलू उपचार



Stone, पथरी के लिए घरेलू उपचार

आजकल हर दूसरा व्यक्ति पथरी की समस्या से परेशान है। पथरी होने की कोई उम्र नहीं होती है, यह किसी भी उम्र में हो जाती है। पथरी होने पर ज्यादा से ज्यादा पानी पीना चाहिए। शरीर में पानी की कमी होने से गुर्दे में पानी कम छनता है। पानी कम छनने से शरीर में मौजूद कैल्शियम,यूरिक एसिड और दूसरे पथरी बनाने वाले तत्व गुर्दे में फंस जाते हैंजो बाद में धीरे-धीरे पथरी का रूप ले लेते हैं।शरीर में अम्लता बढने से लवण जमा होने लगते है और जम कर पथरी बन जाते है .शुरुवात में कई दिनों तक मूत्र में जलन आदि होती है ,जिस पर ध्यान ना देने से स्थिति बिगड़ जाती है .जिसको भी शरीर मे पथरी है वो चुना कभी ना खाएं !(काफी लोग पान मे डाल कर खा जाते हैं )क्योंकि पथरी होने का मुख्य कारण आपके शरीर मे अधिक मात्रा मे कैलशियम का होना है |मतलब जिनके शरीर मे पथरी हुई है उनके शरीर मे जरुरत से अधिक मात्रा मे कैलशियम है
लेकिन वो शरीर मे पच नहीं रहा है ,दूध व बादाम का नियमित सेवन से पथरी की संभावना
कम होती है।गुर्दे की पथरी एक बार होने के बाद दोबारा भी हो सकती है।खान-पान पर नियंत्रण रखकर पथरी की आशंका को कम कर सकते हैं।
खासतौर पर गर्मियों में दो से ढाई लीटर पानी जरूर पीना चाहिए।पेशाब का रंग यदि पीला है तो यह समझ जाएं कि शरीर में पानी की मात्रा कम है।आजकल पथरी का रोग लोगों में आम समस्या बनती जा रही है| जो अक्सर गलत खान पान की वजह से होता है। जरुरत से कम पानी पीने से भी गुर्दे की पथरी का निर्माण होता है। हम बात करते हैं गुर्दे की पथरी के बारे में-आपको बता दें कि गुर्दे की पथरी मूत्रतंत्र का एक रोग है जिसमें गुर्दे के अन्दर छोटे-छोटे पत्थर जैसी कठोर वस्तुएं बन जाती हैं| आमतौर पर यह ये पथरियाँ मूत्र के रास्ते शरीर से बाहर निकाल दी जाती हैं। बहुत से लोगों में पथरियाँ बनती हैं और बिना किसी तकलीफ के बाहर निकल जाती हैं, वहीँ अगर यही पथरी बड़ी हो जाएँ तो मूत्रवाहिनी में अवरोध उत्पन्न कर देती हैं| इस स्थिति में मूत्रांगो के आसपास असहनीय पीड़ा होती है। यह बीमारी आमतौर से 30 से 60 वर्ष के उम्र के लोगों में पाई जाती है और स्त्रियों की अपेक्षा पुरूषों में चार गुना अधिक पाई जाती है। मधुमेह रोगियों में को गुर्दे की पथरी होने की ज्यादा सम्भावना रहती है|

गुर्दे की पथरी के लक्षण-

गुर्दे की पथरी से पीठ या पेट के निचले हिस्से में अचानक तेज दर्द होता है| यह दर्द कुछ मिनटो या घंटो तक बना रहता है तथा बीच-बीच में आराम मिलता है। दर्दो के साथ जी मिचलाने तथा उल्टी होने की शिकायत भी हो सकती है। यदि मूत्र संबंधी प्रणाली के किसी भाग में संक्रमण है तो इसके लक्षणों में बुखार, कंपकंपी, पसीना आना, पेशाब आने के साथ-साथ दर्द होना आदि भी शामिल हो सकते हैं मूत्र में रक्त भी आ सकता है।

पथरी का घरेलू इलाज-

जिस व्यक्ति को पथरी की समस्या हो उसे खूब केला खाना चाहिए क्योंकि केला विटामिन बी-6 का प्रमुख स्रोत है, जो ऑक्जेलेट क्रिस्टल को बनने से रोकता है व ऑक्जेलिक अम्ल को विखंडित कर देता है। इसके आलावा नारियल पानी का सेवन करें क्योंकि यह प्राकृतिक पोटेशियम युक्त होता है, जो पथरी बनने की प्रक्रिया को रोकता है और इसमें पथरी घुलती है।

कहने को करेला बहुत कड़वा होता है पर पथरी में यह भी रामबाण साबित होता है| करेले में पथरी न बनने वाले तत्व मैग्नीशियम तथा फॉस्फोरस होते हैं और वह गठिया तथा मधुमेह रोगनाशक है। जो खाए चना वह बने बना। पुरानी कहावत है। चना पथरी बनने की प्रक्रिया को रोकता है।

गाजर में पायरोफॉस्फेट और पादप अम्ल पाए जाते हैं जो पथरी बनने की प्रक्रिया को रोकते हैं। गाजर में पाया जाने वाला केरोटिन पदार्थ मूत्र संस्थान की आंतरिक दीवारों को टूटने-फूटने से बचाता है।

इसके अलावा नींबू का रस एवं जैतून का तेल मिलकर तैयार किया गया मिश्रण गुर्दे की पथरी को दूर करने में बहुत हीं कारगर साबित होता है। 60 मिली लीटर नींबू के रस में उतनी हीं मात्रा में जैतून का तेल मिलाकर मिश्रण तैयार कर लें। इनके मिश्रण का सेवन करने के बाद भरपूर मात्रा में पानी पीते रहें।
इस प्राकृतिक उपचार से बहुत जल्द हीं आपको गुर्दे की पथरी से निजात मिल जायेगी साथ हीं पथरी से होने वाली पीड़ा से भी आपको मुक्ति मिल जाएगी।

पथरी को गलाने के लिये अध उबला चौलाई का साग दिन में थोडी थोडी मात्रा में खाना हितकर होता है, इसके साथ आधा किलो बथुए का साग तीन गिलास पानी में उबाल कर कपडे से छान लें, और बथुये को उसी पानी में अच्छी तरह से निचोड कर जरा सी काली मिर्च जीरा और हल्का सा सेंधा नमक मिलाकर इसे दिन में चार बार पीना चाहिये, इस प्रकार से गुर्दे के किसी भी प्रकार के दोष और पथरी दोनो के लिए साग बहुत उत्तम माने गये है।

जीरे को मिश्री की चासनी अथवा शहद के साथ लेने पर पथरी घुलकर पेशाब के साथ निकल जाती है। इसके अलावा तुलसी के बीज का हिमजीरा दानेदार शक्कर व दूध के साथ लेने से मूत्र पिंड में फ़ंसी पथरी निकल जाती है।

एक मूली को खोखला करने के बाद उसमे बीस बीस ग्राम गाजर शलगम के बीज भर दें, फ़िर मूली को गर्म करके भुर्ते की तरह भून लें, उसके बाद मूली से बीज निकाल कर सिल पर पीस लें,सुबह पांच या छ: ग्राम पानी के साथ एक माह तक पीते रहे, पथरी में लाभ होगा|

प्याज में पथरी नाशक तत्व होते हैं। करीब 70 ग्राम प्याज को अच्छी तरह पीसकर या मिक्सर में चलाकर पेस्ट बनालें। इसे कपडे से निचोडकर रस निकालें। सुबह खाली पेट पीते रहने से पथरी छोटे-छोटे टुकडे होकर निकल जाती है।

अगर किसी कारण से पेशाब गाढा हो जाता है तब शरीर में पथरी होना शुरू हो जाता है।

पहले छोटे-छोटे दाने बनते हैं बाद में दाने बढ जाते हैं जिसे पथरी कहते हैं।
- मूत्र रोग संबंधी सभी शिकायतों यथा प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने से पेशाब का रुक-रुक कर आना, पेशाब का अपने आप निकलना
(युरीनरी इनकाण्टीनेन्स), नपुंसकता, मूत्राशय की पुरानी सूजन
आदि में गोखरू 10 ग्राम, जल 150 ग्राम, दूध 250 ग्राम को पकाकर आधा रह जाने पर
छानकर नित्य पिलाने से मूत्र मार्ग की सारी विकृतियाँ दूर होती हैं ।- गिलास अनन्नास का रस, १ चम्मच मिश्री डालकर भोजन से पूर्व लेने से पिशाब खुलकर आता है और पिशाब सम्बन्धी अन्य समस्याए दूर होती है

आयुर्वेदिक इलाज

सबसे पहले आप सोनोग्राफी करवा के पता करें की

पथरी कितने साइज़ की है|

पखानबेद नाम का एक पौधा होता है !

उसे पथरचट भी कुछ लोग बोलते है !

उसके पत्तों को पानी मे उबाल कर काढ़ा बना ले !

और आधा आधे या एक कप काढ़ा रोज पीएं |

15 दिन बाद सोनोग्राफी करवाइए ,

मात्र 7 से 15 दिन मे पूरी पथरी खत्म हो जायेगी

या फिर टूट कर आधी हो जायेगी

और कई बार तो इससे भी जल्दी खत्म हो जाती है

पथरी से बचने के लिए निम्न चीजों का सेवन अधि करें

- मूली और उसकी हरी पत्तियों के साथ सब्जी का सुबह सेवन करें .
- ६ ग्राम पपीते को जड़ को पीसकर ५० ग्राम पानी मिलाकर
२१ दिन तक

प्रातः और सायं पीने से पथरी गल जाती है।

-: नारियल पानी :-

इसमें जैविक परमाणु होते हैं जो खनिज पदार्थो को
उत्पन्न होने से रोकते हैं

अर्थात् पथरी को बनने से रोकते हैं।

नारियल का पानी पीने से पथरी में फायदा होता है।

पथरी होने पर नारियल का पानी पीना चाहिए।
15 दाने बडी इलायची के एक चम्मच, खरबूजे के बीज की गिरी

और दो चम्मच मिश्री, एक कप पानी में मिलाकर

सुबह-शाम दो बार पीने से पथरी निकल जाती है।

-: पका हुआ जामुन :-

पथरी से निजात दिलाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पथरी होने पर पका हुआ जामुन खाना चाहिए।

-: बार्ली :-

यह पथरी को बढ़ने से रोकता है अथवा नष्ट करने में सफल माना गया है।

-: अनन्नास :-

इसमें एंजाइम्स होते हैं जो फैब्रिन का नाश करते हैं।

-: केला :-

इसमें पाई जाने वाली विटामिन बी 6 : आक्सेलिक एसिड में परिवर्तित होती है

और पथरी को बनने से रोकती है।

-: नींबू, संतरा, मुसम्मी :-

इसमें पाया जाने वाला सिट्रेट पथरी की उत्पत्ति पर रोक लगाने में मददगार साबित होता है।

-: आंवला :-

भी पथरी में बहुत फायदा करता है। आंवला का चूर्ण मूली के साथ खाने से मूत्राशय की पथरी निकल जाती है।

- जीरे को मिश्री की चासनी अथवा शहद के साथ दिन में तिन बार लेने पर पथरी घुलकर पेशाब के साथ निकल जाती है।

-: सहजन की सब्जी :-

खाने से गुर्दे की पथरी टूटकर बाहर निकल जाती है।

आम के पत्ते छांव में सुखाकर बहुत बारीक पीस लें और आठ ग्राम रोज पानी के साथ लीजिए, फायदा होगा।
मिश्री, सौंफ, सूखा धनिया लेकर 50-50 ग्राम मात्रा में लेकर

डेढ लीटर पानी में रात को भिगोकर रख दीजिए।

अगली शाम को इनको पानी से छानकर पीस लीजिए

और पानी में मिलाकर एक घोल बना लीजिए,

इस घोल को पी‍जिए। पथरी निकल जाएगी।

-: चना :-

यह भी पथरी निरोधक पदार्थ माना गया है।

-: गाजर :-

इसमें फॉस्फेट अथवा विटामिन ए पाए गए हैं
जो पथरी को खत्म करने में मदद करते हैं।

-: करेला :-

इसमें मैग्नीशियम तथा फास्फोरस जैसे पथरी निरोधक तत्व पाए जाते हैं। तुलसी के बीज का हिमजीरा दानेदार शक्कर व दूध के साथ लेने से मूत्र पिंड में फ़ंसी पथरी निकल जाती है।जीरे को मिश्री की चासनी अथवा शहद के साथ लेने पर पथरी घुलकर पेशाब के साथ निकल जाती है।

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आइये अब देखते हैं की किन चीजों के सेवन से
पथरी होने की सम्भावना बढ़ जाती है

- पालक, चौलाई और हरे पत्ते वाली सब्जियों में
अधिक मात्रा में आक्सेलेट तत्व पाए जाते हैं।

-: काले अंगूर :-

काले अंगूरों के सेवन से परहेज करें।

-तिल, काजू अथवा खीरे, आँवला अथवा चीकू (सपोटा) में भी आक्सेलेट अधिक मात्रा में होता है।

-: तरबूज और मशरूम :-

इनमें भी अधिक मात्रा में यूरिक एसिड व प्यूरीन पाई जाती है।

- बैंगन में यूरिक एसिड व प्यूरीन अधिक मात्रा में पाई जाती है।

फूल गोभी में यूरिक एसिड व प्यूरीन की मात्रा अधिक होती है।

चाय, कॉफी व अन्य पेय पदार्थ जिसमें कैफीन पाया जाता है,
उन पेय पदार्थों का सेवन बिलकुल मत कीजिए।

कोल्ड्रिंक बिलकुल मत पीजिए।

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