Friday 25 November 2016

किडनी का सिकुड़ना : एक इलाज – Nephrotic Syndrome Treatment in Ayurved ----- डॉ. योगेश गौतम

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दोस्तों किडनी फेलियर का एक सबसे बड़ा कारन है किडनी का सिकुड़ना। अगर किडनी सिकुड़ जाए तो क्या करें.

जब हमारी किडनी सिकुड़ जाती है तो किडनी की छोटी रचना जिसे हम नेफ्रॉन्स कहते है जो फ़िल्टर का कम करती है ये नेफ्रान्स दब जाते है और उनका फंक्शन ठीक से नहीं हो पता जिससे किडनी फ़िल्टर भी ठीक से नहीं हो कर पाती और वही बिषैला पदार्थ हमारे ब्लड में शरीर में जाने लगता है और Creatinine, urea ये सब ब्लड में बढ़ जाते है।


ऐसे मरीज जिनकी किडनी सिकुड़ गयी है और डॉक्टर ने बोल दिया है की इसका कोई इलाज नहीं है किडनी ट्रांस्प्लांट के आलावा वो मरीज निराश न हो। उनके लिए विशेष आयुर्वेदिक इलाज हैं .

जिन मरीजों की किडनी सिकुड़ गयी हो और डॉक्टर उनको किडनी ट्रांसप्लांट ही एक मात्र विकल्प बता रहें हों ऐसे मरीजो को करना क्या है के “मकोय” यह एक पौधा होता है जो पूरे भारत में पाया जाता है.

संस्कृत में इसको काकमाची, असमिया में पीचकटी, गुजरती में पीलूडी, बंगाली में काकमाची, गुडकमाई, तमिल में मन्टटकल्ली, तेलुगु में गजूचेट्टू, नेपाली में परे गोलभेरा, जंगली बिही, काकमाची, काली गेडी, पंजाबी में काकमाच, मराठी में कमोनी, काकमाची, मेको, मलयालम में क्रीन्टाकली कहते हैं.

इसका वानस्पतिक नाम Solanum americanum Mill है. इंग्लिश में इसको Common nightshade कहते हैं.

इसके फल छोटे छोटे होते है कुछ लोग इसे खाते भी है. इसका पूरा पौधा ले लीजिये इसको अच्छे से धुलाई कर के इसका रस निकाल लें, इस मकोय के रस को 20 ml दिन में दो बार पीना है तीन महीने तक लगातार.

3 महीने बाद सोनोग्राफी करवा के देखे किडनी के सिकुड़ने में यह बहुत ही लाभकारी है।

विशेष – मकोय की सब्जी भी बना कर खायी जाती है. इसके फल भी खाए जाते हैं. इसका अर्क भी आता है. जिस भी प्रकार से किडनी के रोगी इसका सेवन करें तो उनको लाभ होगा.

साभार : 
http://onlyayurved.com/major-disease/kidney/nephrotic-syndrome/nephrotic-syndrome-treatment-in-hindi/

Wednesday 21 September 2016

ड्रग रिएक्शन की लापरवाही : बड़े खतरे को आमंत्रण ------ संचिता शर्मा

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एलोपैथी का प्रचार और घरेलू उपचार से अनभिज्ञता ने ड्रग रिएक्शन अर्थात दवाओं के दुष्प्रभावों से अनेक नई नई बीमारियों का सृजन किया है । इस दुष्चक्र में फंस कर जनता का धन व स्वास्थ्य निरंतर गिरता जाता है। 


(1 ) यदि छींके आ रही हों, नाक से पानी बह रहा हो तब कोई भी एलोपैथी दवा न लेकर यदि 5,7,9 के विषम क्रम में काली मिर्च चबा कर गुनगुना पानी या चाय पी लें तो लाभ हो जाएगा और कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होगा। 

(2 ) यदि कफ के कारण या पित्त प्रकोप के कारण उल्टियाँ हो रही हों तब कोई एलोपैथी दवा न लेकर 5,7,9 के विषम क्रम में लौंग के  नग (दाने ) एक ग्लास पानी में उबाल  कर रख लें और एक-एक चंच यह पानी देते रहें तो उल्टियाँ बंद हो जाएंगी और कोई रिएक्शन भी नहीं होगा। 

(3 ) यदि बदहज़मी  या खान - पान की गड़बड़ी से पेट में दर्द हो रहा हो तब कोई दर्द निवारक एलोपैथी औषद्धि लेने के बजाए थोड़ी सी हींग थोड़े से पानी में खूब गरम करके इस प्रकार नाभि में उस घोल को धीरे- धीरे डालें कि, शरीर जले नहीं और उसी घोल को नाभि के इर्द-गिर्द हल्के हाथों से मालिश कर दें पेट दर्द ठीक हो जाएगा और कोई रिएक्शन भी नहीं होगा। 

इसी प्रकार तमाम घरेलू उपचार घर की रसोई में ही उपलब्द्ध रहते हैं बस धैर्य रख कर घर में ही उपचार करने की ज़रूरत है जिससे दवाओं के साइड इफ़ेक्ट्स - दुष्परिणामों से भी बचाव होगा व शीघ्र सस्ता उपचार भी हो जाएगा। 
( विजय राजबली माथुर ) 

Tuesday 13 September 2016

Saturday 10 September 2016

तुलसी उबला दूध एक बड़ी औषद्धि

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आज हम आपको दूध और तुलसी की पत्तियों के पोषक तत्वों से मिलने वाले फायदे के बारे में बताएंगे। भारत में तुलसी के पौधे को बहुत पवित्र माना जाता है। कहा जाता है कि जिस घर में तुलसी का पौधा नहीं होता उस घर में भगवान भी रहना पंसद नहीं करते। यहीं नहीं बल्कि तुलसी कई समस्याओं को आसानी से दूर कर सकती है। यदि तुलसी की पत्तियों को दूध के साथ मिलाकर पिएंगे तो कई बीमारियां आपसे हमेशा दूर रहेंगी।

तुलसी की पत्तियां उबलते दूध में मिलाकर पीने से आप सेहतमंद रह सकते है। इससे आप किन बीमारियों से रहेंगे दूर यह नीचे दिया गया है।

1. सिरदर्द
अगर किसी को ज्यादातर सिरदर्द की शिकायत रहती है तो तुलसी और दूध के फेटकर हर रोज पीएं। इससे सिरदर्द से काफी राहत मिलेगी।

2. सांस सम्बंधी रोग 
जिन लोगों को सास सम्बंधी कोई बीमारी है तो वह भी इस दूध का सेवन करें। इसे पीने से आपको काफी आराम मिलेगा।

3.हृदय को रखें स्वस्थ 
अगर किसी व्यक्ति को हृदय रोग है तो एेसे लोगों को सुबह खाली पेट दूध और तुलसी का सेवन करें।

4. तनाव 
दूध और तुलसी का सेवन करने से नर्वस सिस्टम भी ठीक रहता है। इसे पीने से तनाव दूर होता है।

5. किडनी स्टोन 

अगर किसी व्यक्ति की किडनी में स्टोन है तो इस दूध का सेवन करें। इसका सेवन करने से स्टोन धीरे-धीरे गलना शुरू हो जाएगा।

साभार :
http://www.livehindustan.com/news/health-top-stories/article1-top-5-health-benefits-of-tulsi-and-milk-558680.html

Tuesday 6 September 2016

पथरी आदि बीमारियों से छुटकारा


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http://www.allayurvedic.org/2016/09/15-drops-koi-sa-bhi-stone-ho-operation-se-nijat-dilayegi.html?m=1

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Thursday 1 September 2016

हर मर्ज की दवाई है कलौंजी


कलौंजी लगाएं, सर पर लहलहाते बाल वापस पाएं
महिलाएं ही क्या पुरुष भी आम तौर पर अपने बालों को लेकर काफी चिंतित रहते हैं, आज की आधुनिक शैली और आधुनिक प्रोडक्ट्स ने हमारे शरीर को फायदा पहुंचाने के बजाय नुक्सान ही पहुंचाया है. बहुत कम लोग जानते हैं कि हमारे आसपास ऐसी बहुत सारी चीजें हैं, जिन्हें सही तरीके से खाकर सुन्दर त्वचा, बालों से लेकर अच्छी सेहत का फायदा उठाया जा सकता है.
इन्हीं में शामिल है कलौंजी जिसमें बहुत सारे मिनरल्स और न्यूट्रिएंट्स होते हैं. आयरन, सोडियम, कैल्शियम, पोटैशियम और फाइबर से भरपूर कलौंजी कई प्रकार के रोगों का घर बैठे इलाज है. लगभग 15 एमीनो एसिड वाला कलौंजी शरीर के लिए जरूरी प्रोटीन की कमी भी पूरी करता है.बालों को लाभकलौंजी के लाभ में से सबसे बड़ा लाभ बालों को होता है. अनहेल्दी लाइफस्टाइल, स्ट्रेस जैसी कई समस्याओं से महिला हो या पुरुष, दोनों के ही साथ बालों के गिरने की समस्या आम हो चुकी है.
इसके लिए तमाम तरह के ट्रीटमेंट कराने पर भी फायदा नहीं होता. लेकिन घर में मौजूद कलौंजी इस समस्या के निपटारे में बहुत ही कारगर उपाय है. सिर पर 20 मिनट तक नींबू के रस से मसाज करें और फिर अच्छे से धो लें. इसके बाद कलौंजी का तेल बालों में लगाकर उसे अच्छे से सूखने दें. लगातार 15 दिनों तक इसका इस्तेमाल बालों के गिरने की समस्या को दूर करता है.कलौंजी ऑयल, ऑलिव ऑयल और मेहंदी पाउडर को मिलाकर हल्का गर्म करें. ठंडा होने दें और हफ्ते में एक बार इसका इस्तेमाल करें. इससे गंजेपन की समस्या भी दूर होती है.
कलौंजी की राख को तेल में मिलाकर गंजे अपने सर पर मालिश करें कुछ दिनों में नए बाल पैदा होने लगेंगे. इस प्रयोग में धैर्य महत्वपूर्ण है.कलौंजी के अन्य लाभडायबिटीज से बचाता है, पिंपल की समस्या दूर, मेमोरी पावर बढ़ाता है, सिरदर्द करे दूर, अस्थमा का इलाज, जोड़ों के दर्द में आराम, आंखों की रोशनी, कैंसर से बचाव, ब्लड प्रेशर करे कंट्रोल.कलौंजी एक बेहद उपयोगी मसाला है. इसका प्रयोग विभिन्न व्यंजनों जैसे दालों, सब्जियों, नान, ब्रेड, केक और आचार आदि में किया जाता है.
कलौंजी की सब्जी भी बनाई जाती है.कलौंजी में एंटी-आक्सीडेंट भी मौजूद होता है जो कैंसर जैसी बीमारी से बचाता है. 

कलौंजी का तेल  :

कलौंजी का तेल कफ को नष्ट करने वाला और रक्तवाहिनी नाड़ियों को साफ़ करने वाला होता है. इसके अलावा यह खून में मौजूद दूषित व अनावश्यक द्रव्य को भी दूर रखता है. कलौंजी का तेल सुबह ख़ाली पेट और रात को सोते समय लेने से बहुत से रोग समाप्त होते हैं. गर्भावस्था के समय स्त्री को कलौंजी के तेल का उपयोग नहीं कराना चाहिए इससे गर्भपात होने की सम्भावना रहती है.
कलौंजी का तेल बनाने के लिए 50 ग्राम कलौंजी पीसकर ढाई किलो पानी में उबालें. उबलते-उबलते जब यह केवल एक किलो पानी रह जाए तो इसे ठंडा होने दें. कलौंजी को पानी में गर्म करने पर इसका तेल निकलकर पानी के ऊपर तैरने लगता है. इस तेल पर हाथ फेरकर तब तक कटोरी में पोछें जब तक पानी के ऊपर तैरता हुआ तेल खत्म न हो जाए. फिर इस तेल को छानकर शीशी में भर लें और इसका प्रयोग औषधि के रूप में करें.आयुर्वेद कहता है कि इसके बीजों की ताकत सात साल तक नष्ट नहीं होती.
दमा, खांसी, एलर्जीः एक कप गर्म पानी में एक चम्मच शहद तथा आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर सुबह निराहार (भोजन से पूर्व) पी लेना चाहिए, फिर रात में भोजन के बाद उसी प्रकार आधा चम्मच कलौंजी और एक चम्मच शहद गर्म पानी में मिलाकर इस मिश्रण का सेवन कर लेना चाहिए. इस प्रकार 40 दिनों तक प्रतिदिन दो बार पिया जाए. सर्दी के ठंडे पदार्थ वर्जित हैं.
मधुमेहः एक कप काली चाय में आधा चाय का चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर सुबह नाश्ते से पहले पी लेना चाहिए. फिर रात को भोजन के पश्चात सोने से पहले एक कप चाय में एक चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर पी लेना चाहिए. चिकनाई वाले पदार्थों के उपयोग से बचें. इस इलाज के साथ अंगे्रजी दवा का उपयोग होता है तो उसे जारी रखें और बीस दिनों के पश्चात शर्करा की जांच करा लें. यदि शक्कर नार्मल हो गई हो तो अंग्रेजी दवा बंद कर दें, किंतु कलौंजी का सेवन करते रहें.
हृदय रोगः एक कप दूध में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर प्रतिदिन दो बार प्रयोग करें. इस तरह दस दिनों तक उपचार चलता रहे. चिकनाई वाले पदार्थों का सेवन न करें.
नेत्र रोगों की चिकित्साः नेत्रों की लाली, मोतियाबिंद, आंखों से पानी का जाना, आंखों की तकलीफ और आंखों की नसों का कमजोर होना आदि में एक कप गाजर के जूस में आधा चम्मच कलौंजी का तेल दो चम्मच शहद मिलाकर दिन में दो बार सुबह (निराहार) और रात में सोते समय लेना चाहिए. इस प्रकार 40 दिनों तक इलाज जारी रखें. नेत्रों को धूप की गर्मी से बचाएं.
अपच या पेट दर्द में आप कलौंजी का काढा बनाइये फिर उसमे काला नमक मिलाकर सुबह शाम पीजिये. दो दिन में ही आराम देखिये.
कैंसर के उपचार में कलौजी के तेल की आधी बड़ी चम्मच को एक ग्लास अंगूर के रस में मिलाकर दिन में तीन बार लें.हृदय रोग,
ब्लड प्रेशर और हृदय की धमनियों का अवरोध के लिए जब भी कोई गर्म पेय लें, उसमें एक छोटी चम्मच तेल मिला कर लें.
सफेद दाग और लेप्रोसीः 15 दिन तक रोज पहले सेब का सिरका मलें, फिर कलौंजी का तेल मलें.
एक चाय की प्याली में एक बड़ी चम्मच कलौंजी का तेल डाल कर लेने से मन शांत हो जाता है और तनाव के सारे लक्षण ठीक हो जाते हैं. कलौंजी के तेल को हल्का गर्म करके जहां दर्द हो वहां मालिश करें और एक बड़ी चम्मच तेल दिन में तीन बार लें. 15 दिन में बहुत आराम मिलेगा.
एक बड़ी चम्मच कलौंजी के तेल को एक बड़ी चम्मच शहद के साथ रोज सुबह लें, आप तंदुरूस्त रहेंगे और कभी बीमार नहीं होंगे; स्वस्थ और निरोग रहेंगे .
याददाश्त बढाने के लिए और मानसिक चेतना के लिए एक छोटी चम्मच कलौंजी का तेल 100 ग्राम उबले हुए पुदीने के साथ सेवन करें.पथरी हो तो कलौंजी को पीस कर पानी में मिलाइए फिर उसमे शहद मिलाकर पीजिये, १०-११ दिन प्रयोग करके टेस्ट करा लीजिये.कम न हुई हो तो फिर १०-११ दिन पीजिये.
अगर गर्भवती के पेट में बच्चा मर गया है तो उसे कलौंजी उबाल कर पिला दीजिये, बच्चा निकल जायेगा.और गर्भाशय भी साफ़ हो जाएगा.
किसी को बार-बार हिचकी आ रही हो तो कलौंजी के चुटकी भर पावडर को ज़रा से शहद में मिलकर चटा दीजिये.
अगर किसी को पागल कुत्ते ने काट लिया हो तो आधा चम्मच से थोडा कम करीब तीन ग्राम कलौंजी को पानी में पीस कर पिला दीजिये, एक दिन में एक ही बार ३-४ दिन करे.
जुकाम परेशान कर रहा हो तो इसके बीजों को गरम कीजिए ,मलमल के कपडे में बांधिए और सूंघते रहिये.दो दिन में ही जुकाम और सर दर्द दोनों गायब .
कलौंजी की राख को पानी से निगलने से बवासीर में बहुत लाभ होता है.
कलौंजी का उपयोग चर्म रोग की दवा बनाने में भी होता है.
कलौंजी को पीस कर सिरके में मिलकर पेस्ट बनाए और मस्सों पर लगा लीजिये. मस्से कट जायेंगे.
मुंहासे दूर करने के लिए कलौंजी और सिरके का पेस्ट रात में मुंह पर लगा कर सो जाएँ.
जब सर्दी के मौसम में सर दर्द सताए तो कलौंजी और जीरे की चटनी पीसिये और मस्तक पर लेप कर लीजिये.
घर में कुछ ज्यादा ही कीड़े-मकोड़े निकल रहे हों तो कलौंजी के बीजों का धुँआ कर दीजिये.
गैस/पेट फूलने की समस्या –50 ग्राम जीरा, 25 ग्राम अजवायन, 15 ग्राम कलौंजी अलग-अलग भून कर पीस लें और उन्हें एक साथ मिला दें. अब 1 से 2 चम्मच मीठा सोडा, 1 चम्मच सेंधा नमक तथा 2 ग्राम हींग शुद्ध घी में पका कर पीस लें. सबका मिश्रण तैयार कर लें. गुनगुने पानी की सहायता से 1 या आधा चम्मच खाएं.
महिलाओं को अपने यूट्रस (बच्चेदानी) को सेहतमंद बनाने के लिए डिलीवरी के बाद कलौंजी का काढा ४ दिनों तक जरूर पी लेना चाहिए. काढ़ा बनाने के लिए दस ग्राम कलौंजी के दाने एक गिलास पानी में भिगायें, फिर २४ घंटे बाद उसे धीमी आंच पर उबाल कर आधा कर लीजिये. फिर उसको ठंडा करके पी जाइये, साथ ही नाश्ते में पचीस ग्राम मक्खन जरूर खा लीजियेगा. जितने दिन ये काढ़ा पीना है उतने दिन मक्खन जरूर खाना है.
आपको अगर बार बार बुखार आ रहा है अर्थात दवा खाने से उतर जा रहा है फिर चढ़ जा रहा है तो कलौंजी को पीस कर चूर्ण बना लीजिये फिर उसमे गुड मिला कर सामान्य लड्डू के आकार के लड्डू बना लीजिये. रोज एक लड्डू खाना है ५ दिनों तक , बुखार तो पहले दिन के बाद दुबारा चढ़ने का नाम नहीं लेगा पर आप ५ दिन तक लड्डू खाते रहिएगा, यही काम मलेरिया बुखार में भी कर सकते हैं.
ऊनी कपड़ों को रखते समय उसमें कुछ दाने कलौंजी के डाल दीजिये,कीड़े नहीं लगेंगे.भैषज्य रत्नावली कहती है कि अगर कलौंजी को जैतून के तेल के साथ सुबह सवेरे खाएं तो रंग एकदम लाल सुर्ख हो जाता है.
चेहरे को सुन्दर व आकर्षक बनाने के लिए कलौंजी के तेल में थोड़ा सा जैतून का तेल मिलाकर चेहरे पर लगाएं और थोड़ी देर बाद चेहरा धो लें. इससे चेहरे के दाग़-धब्बे दूर होते हैं.नोट : यूं तो ये सारे उपाय आयुर्वेद की किताब से लिए गए हैं और नुक्सान होने की आशंका नगण्य है फिर भी कोई भी उपचार अपनाने से पहले घर के बुजुर्गों की सलाह अवश्य लें, क्योंकि हर शरीर की तासीर अलग होती है, जिससे शरीर कोई विपरीत प्रतिक्रया भी दे सकता है.
http://ayurveda.vepsh.com/archives/1327

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साभार :
http://allindiapost.com/har-marj-ka-ilaj-hai-kalonji/

Tuesday 30 August 2016

अल्सर , डायरिया,कमर दर्द एवं डेंगू का सरल उपचार

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https://www.facebook.com/tajinder.singh.771/posts/1262442620456604

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Monday 1 August 2016

रोग सिर्फ डराने व प्रताणित करने आते हैं ------ आलोक भारती

******कोई दूसरा आपकी लड़ाई नहीं लड़ सकता एंटीबायोटिक पेनकिलर भी नहीं।******

आलोक भारती
आज एक 80 वर्षीय माता जी को देखने उनके घर गया।काफी समय से बीमार हैं
कुछ खा पी नहीं रहीं कमजोरी के चलते चलने फिरने से लाचार।टायलेट भी पकड़ कर ले जाया जाता।पिछले डा॰ की काफी सारी दवाएं टानिक विटामिन कैप्सूल पेन किलर प्रोटीन पावडर उनके सिरहाने रखे थे।शायद इन सब से कोई आराम न मिलता देख मुझे काल किया गया था।
बिना कुछ मेडिकली एक्जाम जैसे बी पी,पल्स,फीवर चेक करे मैंने अपनी हथेली उनके हाथ पर रख कर कहा -माता जी जरा मेरे हाथ को कस कर पकड़िए।माता जी के हाथ का दबाव अपने हाथ पर अच्छा खासा महसूस कर मैं समझ गया समस्या कहां है। 
माता जी जरा उठ कर बैठिए मैंने कहा।उनके बेटे ने झट से एक हाथ उनकी गर्दन के नीचे व एक हाथ कमर के नीचे डाल उठाने की कोशिश करने लगा।
माता जी खुद उठ कर बैठेंगी आप पीछे हटिए मैनें कहा।
पर इन्हें करवट तक हम दिलाते हैं ये अपने आप कैसे उठेंगी अबकी बार बहू बोली।
नहीं ये खुद उठेंगी क्योंकि ये खुद उठ सकती हैं इनके साथ इनकी मां दुर्गा की भी शक्ति है मैंने माता जी के गले में पड़े लाकेट की तरफ इशारा करते हुए कहा।
इतने से काम के लिए अपनी मइया को थोड़े ही ना मैं परेशान करूंगी मैं खुद उठ सकती हूं।इतना बोल माता जी ने करबट ली और दोनों हाथों के बल से उठने की कोशिश में लग गईं।डेढ़ मिनट मुश्किल से लगा और वह बिस्तर पर बैठ कर मुस्करा रही थीं।
माता जी आप थक गई होंगी थोड़ा सुस्ता लें मैंने कहा।ना बेटा ना जिंदगी भर भाग दौड़ करी है अब आखिरी घड़ी बिस्तर पर एड़ियां न रगडूंगी।
तो चलिये माता जी बाहर तक टहल कर आते हैं इतना कह कर माता जी की चप्पलें उनके करीब सरका दीं।माता जी ने दोनों पैर बेड से उतारे और धीरे से चप्पलें पहन लीं मैंने अपना हाथ बताया उन्होंने पकड़ा और धरती पर अपने दम पर खड़ी हो गईं।सब उनको विस्मय से देख रहे थे।
मुझे ठिठका देख वह बोलीं आइये आपको अपनी बगिया दिखाऊं।सधे व धीमे कदमों से वह मेरा हाथ पकड़े बाहर आ गईं।और अपनी लगाई फुलवारी के पौधों की विशेषता बताने लगीं।कहीं से ना लग रहा था कि यह स्त्री अभी आधा घंटा पहले करवट लेने तक से लाचार थी ।तभी उन्हें एक नन्हा पौधा मिट्टी में गिरा दिखा तो मेरा हाथ छोड़ उकडू बैठ उसे सीधा करा व हाथों से मिट्टी खरोच उसके आसपास जमा दी ताकि दोबारा ना गिरे।
आइये माता जी अब अंदर चलें मैने कहा।ना बेटा ना मुझे तो यहीं कुर्सी मंगवा दे थोड़ी देर खुली हवा में बैठूंगी अंदर तो दम घुटता है।और हां बहू दो कप चाय भी भेज देना।
बहू मानो सपने से जागी हो -जी माजी अभी लाती हूं।
चाय पीकर मैंने माता जी से इजाजत ली और गेट खोल बाहर आया।
डा॰ साहब माता जी को दवाई नहीं लिखी आपने?बेटे ने पूछा ।इतनी सारी विटामिन प्रोटीन तो रखी हैं चाहे तो खिला दें चाहे फिकवा दें।

रोग आपको मारने नहीं सिर्फ डराने व प्रताणित करने आते हैं।

जो डर गया वह मर गया ।

जो लड़ गया वह जीत गया।

क्योंकि जीतने के लिए लड़ना पड़ता है।


माता जी लड़ीं और जीतीं।
कोई दूसरा आपकी लड़ाई नहीं लड़ सकता एंटीबायोटिक पेनकिलर भी नहीं।
https://www.facebook.com/alok.verma.1048554/posts/679346078870862

Wednesday 20 July 2016

नीम सबसे बड़ा हकीम ------ पूनम कुमारी

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"आँगन तुलसी ,द्वारे नीम -फिर क्यों आये वैद्य -हकीम "  :

यह शीर्षक उस स्लोगन से लिया गया है जिसका प्रयोग एन .सी .ई .आर .टी .,पटना में कार्य -काल क़े दौरान हमारी  टीम  ग्रामीणों को समझाने में अपने ग्रुप क़े साथ करती थी  । यह बात बिलकुल ठीक है कि नीम स्वंय हकीम है । नीम न केवल पर्यावरण शुद्ध करता है,बल्कि यह एक उच्च कोटि का रक्तशोधक भी है। त्वचा और वायु -प्रकोप में तो नीम राम -बाण औषधी ही है। इस सम्बन्ध में आयुर्वेद अध्यन में आये एक किस्से का वर्णन करना प्रासंगिक रहेगा.६०० ई .पूर्व हमारे देश क़े सुप्रसिद्ध वैद्य सुश्रुत (जो कि दिवोदास जी क़े शिष्य और सुश्रुत संहिता क़े रचयिता थे )की परीक्षा उनके समकालीन यूनानी हकीम पाईथागोरस ने अद्भुत तरीके से लेनी चाही।  पाईथागोरस ने एक यात्री( जो भारत आ रहा था ) से कहा कि ,वहां  जा कर सुश्रुत को मेरा सन्देश दे देना। जब उस यात्री ने सन्देश पूछा तो पाईथागोरस ने कह दिया कि कुछ नहीं ,बस तुम जाते समय रोजाना रात को इमली क़े पेड़ क़े नीचे सो जाया करना।  उस यात्री ने ऐसा ही किया और सुश्रुत से जब मिला तो उनसे कहा पाईथागोरस ने आपके लिए सन्देश देने को कहा है पर कुछ बताया नहीं है। सुश्रुत ने पूछा कि फिर भी क्या कहा था ,उस यात्री ने जवाब दिया कि उन्होंने कहा था कि रोजाना रात को इमली क़े पेड़ क़े नीचे सो जाया करना और मैंने वैसा ही किया है। यह सुन कर सुश्रुत ने कहा कि ठीक है अब तुम लौटते में रोजाना नीम क़े पेड़ क़े नीचे सोते हुए जाना।  उस यात्री ने अब वैसा ही किया। पाईथागोरस ने जब उस यात्री से सुश्रुत क़े बारे में पूंछा तो उसने कहा कि उन्होंने भी कुछ नहीं कहा सिवाए इसके कि लौटते में नीम क़े नीचे सोते हुए जाना।  

पाईथागोरस ने सुश्रुत का लोहा मान लिया।  कारण स्पष्ट है कि इमली क़े पेड़ क़े नीचे सोने से उस व्यक्ति में वात का प्रकोप हो गया था। लौटते में नीम क़े नीचे सोने से वह वात -प्रकोप नष्ट हो गया। सिर्फ वात -प्रकोप ही नहीं अनेक रोगों का इलाज नीम से होता है. :-
डायबिटीज़ -नीम,जामुन और बेल -पत्र की तीन -तीन कोपलें मिला कर प्रातः काल शौचादि क़े बाद मिश्री मिलकर चबाते रहने से डायबिटीज़ रोग जड़ से समाप्त हो जाता है। 
बवासीर -नीम की निम्बोली पकी होने पर गुठली समेत साबुत निगल लें.प्रातः काल ३ से शुरू करके २१ तक ले जाएँ पुनः घटाते हुए तीन पर लायें .इस प्रयोग से बवासीर रोग जड़ से समाप्त हो जाता है। 
रोग अनेक -औषद्धि एक -वात व पित्त क़े प्रकोप से होने वाले रोग ,बिगड़े हुए घाव ,कृमि जान रोग ,बवासीर तथा श्वास -कास सभी रोगों में 'नीम ' मिश्रित घृत (घी )लाभ करता करता ही है कुष्ठ रोग दूर करने में भी सहायक है इसे पञ्च तिक्त घृत क़े नाम से बाजार से भी खरीद सकते हैं। 
निर्माण विधि -(१)नीम की छाल ,पटोल पत्र ,कटेरी पंचांग ,वासा का पंचांग ,गिलोय इन पाँचों को ५० -५० ग्रा .की मात्रा में लें और मोटा -मोटा कूट कर उबालें पानी लीटर लें.जब चौथाई भाग अर्थात ७४० मि .ली .बचे तो उतार कर कपडे से छान लें। 
(२ )अब इसमें गाय का घी १५० ग्रा .और त्रिफला चूर्ण २० ग्रा .की मात्रा में मिला कर पुनः तब तक उबालें जब तक कि समस्त पानी जलकर मात्र घी न बच जाये। 
(३ )एक चम्मच घृत मिश्री मिला कर चाटें और गुनगुना गर्म दूध पीयें.
पहले सड़कों क़े किनारे जो छायादार वृछ लगाये जाते थे उनमे नीम प्रमुख था ,तब वातावरण इसी कारण शुद्ध रहता था .क्या हम फिर उसी परंपरा को नहीं अपना कर सुखी रहने का अवसर खोते जा रहे हैं ?
साभार :
http://krantiswar.blogspot.in/2010/11/blog-post_23.html

Sunday 3 July 2016

यह आशय कदापि नहीं कि डाक्टर से परामर्श ना लें ------ आलोक भारती

आलोक भारती

June 2 · 
मेरी क्लीनिक के पास ही सेन्ट्रल जेल है तो अधिकांश जेलकर्मी मुझसे ही व दवा लेने आते हैं।परसों ही जेलर साहब हाथ में छड़ी लेकर लंगड़ाते हुए आए।आते ही उन्होंने x-ray report टेबुल पर रख दी।
क्या हुआ जेलर साहब ?मैंने पूछा.
अरे डाक्टर साहब 10 दिन पहले बाथरूम में फिसल गया था तब से पैर का दर्द नहीं जा रहा है।आर्थोपेड्रिक सर्जन को भी दिखाया पर राहत नहीं मिली तो सोचा आप से ही परामर्श लूं.जेलर साहब बोले।
मैंने x-ray देखा कोई विशेष चोट नहीं थी।मामूली सी जांघ की मसल्स पुल हुई थी जिसे सिर्फ पांच दिन में सही हो जाना था।इसके साथ उन्होंने अपने गिरने व उठ कर खड़े होने से लेकर आज तक का अपना दर्दनाक विवरण 15 मिनट तक लाइव सुनाया।
तभी सामने रोड पर एक बच्चे ने आवारा कुत्ते को भगाने के लिए उसके पैर पर पतली स्टिक मारी।कुत्ता चोटिल पैर उठाए हुए 5-6 मीटर भागा और फिर उसने चारो टांगो से तेज दौड़ लगाई और नजरों से ओझल हो गया।
मैंने जेलर साहब से कहा देखा आपने कुत्ते के पास भूलने की शक्ति है और उसने उसका कितना बेहतर उपयोग किया।5 मिनट में ही वह अपनी चोट भूल गया और दौड़ लगा दी।आपके पास भी विस्मृत करने की क्षमता है पर आपने उसका उपयोग ही नहीं करा।आप अभी तक दस दिन पुरानी घटना में ही जी रहे हैं।वक्त हर जख्म को भर देता है पर आप खुद ही उसे कुरेद कुरेद कर हरा बनाए हुए हैं।जाइए आराम कीजिए और अपने आप से बार बार बोलिए- जितना दर्द कल था उतना आज नहीं है और कल आज जितना भी नहीं रहेगा।बस यही इलाज मेरे पास है करना चाहें तो करें अन्यथा किसी और को दिखा लें।
क्लीनिक पर काम करने बाले लड़के ने बाद में बताया जेलर साहब बाहर निकल कर आसमान की तरफ देख कर बुदबुदाए थे अजीब अहमक डाक्टर है सिर्फ मंत्र दोहराने को बोल दिया।
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मेरी पत्नी की भी ऐसी ही आदत थी।जब भी उसके सर में दर्द होता वह हर 15 मिनट बाद बोलती थी बहुत तेज दर्द है।मैं उससे कहता था तुम्हें बार बार घोषणा नहीं करनी चाहिए तुम्हारे अवचेतन मन पर दर्द की चीत्कारें अंकित होती जा रहीं हैं तो दवा खा कर भी आराम नहीं होगा।दर्द को भुलाने की कोशिश करो ना कि उसे रटते जाओ।
पहले तो उसे यह तरीका अजीब लगा पर अब अपना लिया है।
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मुझे भी 2007 से 2010 तक cluster head के तेज अटैक पड़ते थे।इसमें माथे पर टीका लगाने की जगह पर तीव्र दर्द होता है आंखे सूज कर लाल व आसू चलने लगते हैं।इस दर्द का ना तो कारण पता है ना कोई दवा है पेनकिलर के अलावा।मैं सर को मफलर से कस कर बांध लेता था।इन चार सालों में एक भी पेनकिलर नहीं खाई।तेज दर्द क स्थिति में भी क्लीनिक अटेंड करी।पेशेंट देखता और उल्टी आने पर उल्टी कर फिर पेशेंट्स में लग जाता था क्योंकि उल्टी से थोड़ी राहत मिल जाती थी।पूरी तरह दर्द को भुलाने की कोशिश में लगा रहता था।मरीज तक कह उठते थे कोई दवा क्यों नहीं ले लेते आप।मेरा जबाव होता अब दर्द कम होना शुरु हो गया है थोड़ी देर में आराम हो जाएगा।विश्वास कीजिए दर्द ऐसी सोच के चलते कम होना शुरु हो जाता था।इसी तरह दर्द से लड़ते लड़ते वह कहां और कब चला गया पता नहीं जबकि मेडिकल साइंस के अनुसार इसे आजीवन मेरे साथ रहना था।
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. मेरे कहने का यह आशय कदापि नहीं कि डाक्टर से परामर्श ना लें।उसके द्वारा बताई दवा भी लें।पर अपने को इस जंग में एक योद्धा माने और रोग से लड़ने को हर पल मुस्तैद रहें।
मैं लड़ा भी जीता भी।
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. कर के देखिए अच्छा लगता है।
https://www.facebook.com/alok.verma.1048554/posts/683881885083948

Friday 1 July 2016

जल ही जीवन है ------ विजय राजबली माथुर

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फोटो रमाशंकर बाजपेयी जी के सौजन्य से 

******जल निगम, लखनऊ: पेय जल ******
जल निगम,लखनऊ द्वारा सप्लाई किया जा रहा पेय जल कितना शुद्ध है इसकी जांच करने के लिए किसी प्रयोगशाला की ज़रूरत नहीं है। कोई भी अपने घर पर पानी को एक पात्र में उबालने रख दें और जब उबल जाये तो ठंडा होने पर उसकी तलहटी में जमें अशुद्ध पदार्थों से परिचित हो लें। 
ये अशुद्ध पदार्थ पानी के साथ-साथ उदर में पहुँच कर यकृत-लीवर और गुर्दा -किडनी को क्षति पहुंचाते हैं। चिकित्सक -डॉ से इलाज कराने पर वह तेज़ एंटी बायटिक देते हैं और पुनः लीवर व किडनी को क्षति बढ़ती है। 
एलोपैथिक डॉ सिर्फ नरसिंग होम के जरिये धन कमाने पर ही ज़ोर देते हैं। सरकारी अस्पतालों की लापरवाही ही इसीलिए है कि, जनता मजबूरी में निजी चिकित्सकों के जरिये लूटी जा सके। जनता को खुद ही जागरूक होना होगा और अपना चिकित्सक अपने आप खुद बनना होगा तभी कल्याण संभव है।

https://www.facebook.com/vijai.mathur/posts/1107723499289625


Tuesday 3 May 2016

एंटी-कैंसर हल्दी के फायदे ------ जीवन शैली

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तो फिर देर किस बात की कल से ही शुरू करे ये हल्दी वाला पानी तो आइये जानते है हम इसे कैसे बनायेगे -

एक गिलास पानी में आप आधा नीबू  निचोड़ कर उसमे चौथाई चम्मच हल्दी मिला कर चला कर मिक्स कर ले फिर उसमे आधा या फिर पूरा एक चम्मच अपनी आवश्यकता अनुसार शहद मिला ले - और इसका सेवन करे-

फायदे -

1- आपको पता है कि हल्दी एक ताकतवर एंटी-आक्सीडेंट भी है एंटी-कैंसर के गुणों से भरपूर है ये-इसमें करक्यूमिन होने के कारण कैंसर पैदा करने वाली कोशिकाओं से भी लडती है -

2- क्या आप जानते है कि हल्दी का सेवन रोज करने से पित्त जादा बनता है जिससे हमारे खाने को पचाने की छमता विकसित हो जाती है लेकिन अधिक मात्रा किसी भी चीज की नुकसानदायक होती है -

3- शरीर में सूजन कितनी भी क्यों न हो हल्दी सूजन को कम करने में सहायक है इसमें करक्यूमिन नामक एक रसायन पाया जाता है जो दवा के रूप में काम करता है इसीलिए आपने देखा होगा किसी को भी चोट लग जाती है तो हमारे बुजुर्ग हल्दी दूध में डालकर पिलाते थे-

4- हल्दी दिमाक के लिए भी फायदेमंद होती है जिनको भूलने जैसी बिमारी है वो इसका सेवन करके अपनी इस बिमारी को काफी हद तक कम कर सकते है-

5- जिन लोगो की खून की धमनियों में ब्लाकेज की शिकायत है उनको तो अवस्य ही हल्दी वाला पानी सेवन करना लाभदायक है क्युकि हल्दी खून को जमने से रोकता है अदरक भी खून को पतला रखती है और ब्लाकेज से बचाती है -

6- जो लोग नियमित हल्दी वाला पानी उपयोग करते है उनके चेहरे व शरीर पर रैडिकल्स कम होते है इससे आपके शरीर पर उम्र का असर कम दीखता है -

7- एक रिसर्च के अनुसार हल्दी के सेवन से ग्लूकोज का लेबल कम हो सकता है अर्थात डायबिटीज (मधुमेह) का खतरा टाला जा सकता है -

8- अर्थराइटिस होने पर हल्दी वाला पानी -इसमें करक्यूमिन होने के कारण जोड़ो  के दर्द और सूजन को दूर करके आपको काफी हद तक राहत पहुंचाता है -

9- आपके लीवर के खराब हो चुके सेल्स को ठीक करने में हल्दी आपकी बहुत मदद करता है तथा पित्ताशय की प्रक्रिया को भी चुस्त और दुरुस्त रखता है -

10- यदि किसी कारण से शरीर के बाहरी या अंदरूनी हिस्से में चोट लग जाए-तो हल्दी वाला दूध उसे जल्द से जल्द ठीक करने में बेहद लाभदायक है क्योंकि यह अपने एंटी बैक्टीरियल और एंटीसेप्टिक गुणों के कारण बैक्टीरिया को पनपने नहीं देता है -

जीवन-शैली -
साभार :

Saturday 30 April 2016

पुराने घरेलू नुसखे ------ स्वर्ण भाटिया





घरेलू नुसखे
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1.प्याज के रस को गुनगुना करके कान में डालने से कान का दर्द ठीक होता है।
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2.प्रतिदिन 1 अखरोट और 10 किशमिश बच्चों को खिलाने से बिस्तर में पेशाब करने की समस्या दूर होती है।
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3.टमाटर के सेवन से चिढ़चिढ़ापन और मानसिक कमजोरी दूर होती है।यह मानसिक थकान को दूर करमस्तिस्क को तंदरुस्त बनाये रखता है।इसके सेवन से दांतो व् हड्डियों की कमजोरी भी दूर होती है.
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4.तुलसी के पत्तो का रस,अदरख का रस और शहद बराबर मात्रा में मिलाकर 1-1चम्मच की मात्रा में दिन में 3से4 बार सेवन करने से सर्दी,जुखाम व् खांसी दूर होती है।
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5.चाय की पट्टी की जगह तेज पत्ते की चाय पीने से सर्दी, जुखाम ,छींके आनानाक बहना ,जलन व् सरदर्द में शीघ्र आराम मिलता है।
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6.रोज सुबह खाली पेट हल्का गर्म पानी पीने से चेहरे में रौनक आती है वजन कम होता है, रक्त प्रवाह संतुलित रहता है और गुर्दे ठीक रहते है।
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7.पांच ग्राम दालचीनी ,दो लवंग और एक चौथाई चम्मच सौंठ को पीसकर 1 लीटर पानी में उबाले जब यह 250 ग्राम रह जाए तब इसे छान कर दिन में
3 बार पीने से वायरल बुखार में आराम मिलता है।
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8.पान के हरे पत्ते के आधे चम्मच रस में 2 चम्मच पानी मिलाकर रोज नाश्ते के बाद पीने सेपेट के घाव व् अल्सर में आराम मिलता है।
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9.मूंग की छिलके वाली दाल को पकाकर यदि शुद्ध देशी घी में हींग-जीरे का तड़का लगाकर खाया जाए तो यह वात, पित्त, कफ तीनो दोषो को शांत करती है।
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10. भोजन में प्रतिदिन 20 से 30 प्रतिशत ताजा सब्जियों का प्रयोग करने से जीर्ण रोग ठीक होता है उम्र लंबी होती है शरीर स्वस्थ रहता है।
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11.भिन्डी की सब्जी खाने से पेशाब की जलन दूर होती है तथा पेशाब साफ़ और खुलकर आता है।
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12.दो तीन चम्मच नमक कढ़ाई में अच्छी तरह सेक कर गर्म नमक को मोटे कपडे की पोटली में बांधकर सिकाई करने से कमर दर्द में आराम मिलता है।
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13.हरी मिर्च में एंटी आक्सिडेंट होता है जो की शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता हैऔर कैंसर से लड़ने में मदद करता है इसमें विटामिन c प्रचुर मात्रा में होता है जो की प्राकृतिक प्रतिरक्षा में सुधार करता है।
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14.मखाने को देसी घी में भून कर खाने से दस्तो में बहुत लाभ होता है इसके नियमित सेवन से रक्त चाप , कमर दर्द, तथा घुटने के दर्द में लाभ मिलता है।
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15.अधिक गला ख़राब होने पर 5 अमरुद के पत्ते 1 गिलास पानी में उबाल कर थोड़ी देर आग पर पका ठंडा करके दिन में 4 से 5 बार गरारे करने से शीघ्र लाभ होता है।
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16.आधा किलो अजवाइन को 4 लीटर पान में उबाले 2 लीटर पानी बचने पर छानकर रखे, इसे प्रतिदिन भोजन के पहले 1 कप पीने से लिवर ठीक रहता है एवशराब पीने की इच्छा नहीं होती.।
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17.नीम की पत्तियो को छाया में सुखा कर पीस लें . इस चूर्ण में बराबर मात्रा में कत्थे का चूर्ण मिला ले।इस चूर्ण को मुह के छालो पर लगाकर टपकाने से छाले ठीक होते है।
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18.प्रतिदिन सेब का सेवन करने से ह्रदय,मस्तिस्क तथा आमाशय को समान रूप से शक्ति मिलती है तथा शरीर की कमजोरी दूर होती है।
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19.20से 25 किशमिश चीनी मिटटी के बर्तन में रात को भिगो कर रख दें।सुबह इन्हें खूब चबा कर खाने से लो ब्लड प्रेसर में लाभ मिलता है व् शरीर पुष्ट होता है।
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20. अमरुद में काफी पोषक तत्व होते है .इसके नियमित सेवन से कब्ज दूर होती है और मिर्गी, टाईफाइड , और पेट के कीड़े समाप्त होते है।

Monday 25 April 2016

रतनजोत के प्रयोग से बाल काले हो जाते है ------ जीवन- शैली

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आप जो तेल का प्रयोग करते है  उसमे रतनजोत के कुछ टुकड़े ड़ाल दीजिये जिससे तेल का रंग तो सुंदर हो ही जाता है इस तेल के प्रयोग से बाल स्वस्थ और काले हो जाते हैं  साथ ही इस तेल से मस्तिष्क की ताकत भी बढ़ती है रतनजोत  घिसकर माथे पर लगाने से मानसिक क्षमता बढ़ती है और डिप्रेशन बीमारियाँ नहीं होती है इसका पावडर तेल में मिलाकर मालिश करने से त्वचा का रूखापन खत्म होता है . 

रतनजोत के खास प्रयोग-


रतनजोत के पौधे की जड़ का पावडर एक ग्राम सवेरे शाम लिया जाए तो  मिर्गी के दौरे पड़ने बंद हो जाते हैं त्वचा के रोगों से छुटकारा पाना हो तो इसकी जड़ का आधा ग्राम पावडर सवेरे शाम ले लीजिये  इसके पौधे की पत्तियों को चाय की तरह पीया जाए तो यह हृदय के लिए बहुत लाभदायक है-


 इसके पत्तियों के सेवन से रक्त शुद्ध होता है और दाद, खाज और खुजली से छुटकारा मिलता है. इसके पत्तों का काढ़ा नियमित रूप से लिया जाए तो गुर्दे की पथरी भी ठीक हो जाती है   


एक किलो सरसो का तेल, रतनजोत, मेहंदी के पत्ते, जलभांगरा के पत्ते तथा आम की गुठलियों को 100-100 ग्राम की मात्रा लेकर सभी को कूटकर लुगदी बना लें और लुगदी को निचोड़ लें।फिर उसे सरसों के तेल में इतना उबालें कि सारा पानी जल जाए, केवल तेल ही शेष बचे। इसे छानकर इसका तेल रोजाना सिर परलगायें।और   सुबह-शाम 250 ग्राम दूध पीना चाहिए। इससे बाल काले हो जाते हैं।


आंवला के पिसे हुए चूर्ण को नींबू के रस और रतनजोत चूर्ण के साथ पीसकर बालों में लेप करने से बाल काले हो जाते हैं।आंवला और लौह चूर्ण को पानी के साथ पीसकर लगाने से सफेद बाल काले हो जाते हैं।


100 ग्राम दही में  पिसी हुई एक ग्राम कालीमिर्च और रतनजोत चूर्ण  मिलाकर सप्ताह में एक बार सिर को धोयें और बाद में गुनगुने पानी से सिर को धो लें। इस प्रयोग को करने से बालों का झड़ना बन्द हो जाता है तथा बाल काले और सुन्दर हो जाते हैं।



जीवन- शैली

http://www.jeevanshaeli.com/2015/12/ratanjot-ke-pryog-se-baal-kaale-ho.html

Tuesday 19 April 2016

थायरायड को कैसे कम करे ------ जीवन-शैली

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आजकल एक गंभीर समस्या बहुतायात देखने को मिल रही है थायराइड - थायरायड गर्दन के सामने और स्वर तंत्र के दोनों तरफ होती है थायरायड में अचानक वृधि हो जाना या फिर अचानक कम हो जाना है -


एक स्वस्थ्य मनुष्य में थायरायड ग्रंथि का भार 25 से 50 ग्राम तक होता है यह ‘ थाइराक्सिन ‘ नामक हार्मोन का उत्पादन करती है - पैराथायरायड ग्रंथियां- थायरायड ग्रंथि के ऊपर एवं मध्य भाग की ओर एक-एक जोड़े  यानी कि कुल चार होती हैं  यह ” पैराथारमोन ” हार्मोन का उत्पादन करती हैं -

तनावग्रस्त जीवन शैली से थायराइड रोग बढ़ रहा है आराम परस्त जीवन से हाइपो थायराइड और तनाव से हाइपर थायराइड के रोग होने की आशंका आधुनिक चिकित्सक निदान में करने लगे हैं आधुनिक जीवन में व्यक्ति अनेक चिंताओं से ग्रसित है जैसे परिवार की चिंताएँतथा आपसी स्त्री-पुरुषों के संबंध- आत्मसम्मान को बनाए रखना- लोग क्या कहेंगे आदि अनेक चिंताओं के विषय हैं-

उपचार-

1- थायरायड की समस्या वाले लोगों को दही और दूध का इस्तेमाल अधिक से अधिक करना चाहिए- दूध और दही में मौजूद कैल्शियम, मिनरल्स और विटामिन्स थाइरोइड से ग्रसित पुरूषों को स्वस्थ बनाए रखने का काम करते हैं-

2- थायरायड ग्रन्थि को बढ़ने से रोकने के लिए आप गेहूं के ज्वार का सेवन कर सकते है गेहूं का ज्वार आयुर्वेद में थायरायड की समस्या को दूर करने का बेहतर और सरल प्राकृतिक उपाय है इसके अलावा यह साइनस, उच्च रक्तचाप और खून की कमी जैसी समस्याओं को रोकने में भी प्रभावी रूप से काम करता है-

3- थायरायड की परेशानी में जितना हो सके फलों  और सब्जियों का इस्तेमाल करना चाहिए- क्युकि फल और सब्जियों में एंटीआक्सिडेंटस होता है जो थायरायड को कभी भी बढ़ने नहीं देता है- सब्जियों में टमाटर, हरी मिर्च आदि का सेवन करें-

4- थायरायड के मरीजों को थकान बड़ी जल्दी लगने लगती है और वे जल्दी ही थक जाते हैं एैसे में मुलेठी का सेवन करना बेहद फायदेमंद होता है चूँकि मुलेठी में मौजूद तत्व थायरायड ग्रन्थि को संतुलित बनाते हैं और थकान को उर्जा में बदल देते हैं- मुलेठी थायरायड में कैंसर को बढ़ने से भी रोकता है-

5- योग के जरिए भी थायरायड की समस्या से निजात पाया जा सकता है इसलिए आपको भुजंगासन, ध्यान लगाना, नाड़ीशोधन, मत्स्यासन, सर्वांगासन और बृहमद्रासन आदि करना चाहिए-

6- अदरक में मौजूद गुण जैसे पोटेशियम, मैग्नीश्यिम आदि थायरायड की समस्या से निजात दिलवाते हैं- अदरक में एंटी-इंफलेमेटरी गुण थायरायड को बढ़ने से रोकता है और उसकी कार्यप्रणाली में सुधार लाता है-

साभार : 

जीवन-शैली -
http://www.jeevanshaeli.com/2016/04/how-to-reduce-thyroid_8.html

Wednesday 13 April 2016

क्यूँ न रखें फ्रिज में ये सामान


By:Rahul Sharma, Onlymyhealth Editorial Team,Date:Sep 12, 2014

फ्रिज में न रखें ये सामान : 

रेफ्रिजरेटर में चीजों को इसलिए रखते हैं ताकि वे खराब न हों। लेकिन, कुछ चीजों को फ्रिज में नहीं रखना चाहिये। वे बाहर ही ज्‍यादा सुरक्षित रहती हैं। इनमें से कुछ के बारे में आपको पहले से ही पता होगा, लेकिन कुछ आपको हैरान कर देंगी। 

कॉफी : 



फ्रिज में रखने पर कॉफी अपना सारा स्‍वाद खो देती है। तो बेहतर है कि आप इसे एयरटाइट जार में बाहर ही रखें। फ्रिज में रखने पर यह अपनी कुदरती गंध भी खो देती है। इसलिए इसे बाहर ही रखना चाहिये। 

तेल : 



तेल को कभी फ्रिज में नहीं रखना चाहिये। फ्रिज में रखने से यह गाढ़ा हो जाता है और कुछ हद तक मक्‍खन की तरह हो जाता है। कुछ तेल जैसे नारियल और ऑलिव ऑयल को खासतौर पर‍ फ्रिज में नहीं रखना चाहिये। और जब आप इन्‍हें फ्रिज से निकालते हैं तो इन्‍हें सामान्‍य तापमान तक आने में काफी समय लगता है। 

प्‍याज :  
प्‍याज को तो कभी भी फ्रिज में न रखें। फ्रिज में रखने पर ये न सिर्फ पिलपिले हो जाते हैं बल्कि इससे फ्रिज के अंदर भी अजीब सी गंध भर जाती है। इससे फ्रिज में रखे अन्‍य सामान पर भी इसका असर आता है। तो बेहतर है कि प्‍याज को बाहर ही रखा जाए। 

आलू : 

आलू स्‍टार्च से भरा होता है, जो ठंड में बुरा असर डालती हैं। ठंड में स्‍टार्च शुगर के रूप में टूटने लगता है। इससे यह ग्रीटी और एक प्रकार से मीठा हो जाता है। इससे इसका स्‍वाद और आकार दोनों खराब हो जाते हैं। आलू वास्‍तव में ठंडे और अंधेरे में ही रखने चाहिये। अच्‍छा है अगर आप इन्‍हें कागज में लपेटकर रखें। और प्‍याज से दूर क्‍योंकि दोनों को साथ रखने पर दोनों जल्‍दी खराब हो सकते हैं। 

टमाटर : 

टमाटर पकने पर ज्‍यादा स्‍वाद देते हैं। लेकिन फ्रिज में रखने से टमाटर के पकने की कुदरती प्रक्रिया रुक जाती है। फ्रिज में रखने पर वे मुलायम हो जाते हैं और उनके भीतर बर्फ के कण जमने लगते हैं। इसके बजाय आपको चाहिये कि आप ताजा टमाटर खरीदें और उन्‍हें फ्रिज में न रखें।

शहद : 

शहद कुदरती प्र‍िजरवेटिव है, तो अगर आप इसे बरसों तक जार में ऐसे ही रखा रहने दें तो भी यह खराब नहीं होता। शहद को फ्रिज में रखने से उसमें चीनी के कण जमा हो जाते हैं और शहद सख्‍त हो जाता है। ऐसे में इसे जार से निकालना मुश्किल हो जाता है।

खरबूजा :

फ्रिज में रखने से खरबूजा अपने एंटीऑक्‍सीडेंट गुण खो देता है। खासतौर पर अगर आप उन्‍हें बिना काटे फ्रिज में रखें तो इसके एंटीऑक्‍सीडेंट गुणों पर विपरीत असर पड़ता है। हालांकि काटकर आप इसे फ्रिज में रख सकते हैं। 

ब्रेड  : 
फ्रिज में रखने से ब्रेड जल्‍दी खराब होती है। फ्रिज में रखने पर यह जल्‍दी सख्‍त हो जाती है और आसानी से चूरा हो जाती है। अगर ब्रेड सैं‍डविच के रूप में हो, तो आप उसे फ्रिज में रख सकते हैं। अन्‍यथा आप उसे फ्रिज में न रखें और सीधा फ्रिजर में रख दें। 

लहसुन  : 

लहसुन फ्रिज के बाहर भी सुरक्षित रहता है। बल्कि अगर आप इसे फ्रिज में रखेंगे तो यह ज्‍यादा जल्‍दी खराब होगा। तो लहसुन को फ्रिज के बाहर ही रखना चाहिए। 

साभार : 







Thursday 7 April 2016

नवरात्र : फेस्टिवल आफ फिटनेस ------ किशोर चंद्र चौबे

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कल से नव - विक्रमी संवत का प्रारम्भ हो रहा है और  'नवरात्र  पर्व  ' भी। अब से दस लाख वर्ष पूर्व जब इस धरती पर 'मानव  जीवन  ' की सृष्टि  हुई तब  अफ्रीका, यूरोप व त्रि वृष्टि  (वर्तमान तिब्बत ) में  'युवा पुरुष' व 'युवा - नारी ' के रूप  में  ही। जहां प्रकृति ने राह दी वहाँ मानव बढ़ गया और जहां प्रकृति की विषमताओं ने रोका वहीं वह रुक गया। त्रि वृष्टि  का मानव अफ्रीका व यूरोप के मुक़ाबले अधिक विकास कर सका और हिमालय पर्वत पार कर दक्षिण में उस 'निर्जन' प्रदेश  में आबाद हुआ जिसे उसने 'आर्यावृत ' सम्बोधन दिया। आर्य शब्द  आर्ष  का अपभ्रंश था  जिसका अर्थ है 'श्रेष्ठ ' । यह न कोई जाति है न संप्रदाय  और न ही मजहब । आर्यावृत में  वेदों का सृजन  इसलिए हुआ था कि, मानव जीवन को उस प्रकार जिया जाये जिससे वह श्रेष्ठ बन सके। परंतु यूरोपीय व्यापारियों  ने मनगढ़ंत  कहानियों द्वारा आर्य को यूरोपीय  जाति के रूप में प्रचारित करके वेदों को गड़रियों के गीत घोषित कर दिया और यह भी कि, आर्य आक्रांता थे जिनहोने यहाँ के मूल निवासियों को उजाड़ कर कब्जा किया था। आज मूल निवासी आंदोलन उन मनगढ़ंत कहानियों के आधार पर 'वेद' की आलोचना करता है और तथाकथित  नास्तिक/ एथीस्ट भी जबकि पोंगापंथी  ब्राह्मण  ढोंग-पाखंड-आडंबर को धर्म के रूप में प्रचारित करते हैं व  पुराणों के माध्यम से जनता को गुमराह करके  वेद व पुराण को एक ही बताते हैं। 

चारों  वेदों  में जीवन के अलग-अलग  आयामों  का उल्लेख है। 'अथर्व वेद ' अधिकांशतः  'स्वास्थ्य  ' संबंधी आख्यान करता है। 'मार्कन्डेय चिकित्सा  पद्धति ' अथर्व वेद पर आधारित है  जिसका वर्णन  किशोर चंद्र चौबे जी ने किया है। इस वर्णन के अनुसार  'नवरात्र  ' में  नौ  दिन नौ औषद्धियों  का सेवन कर के  जीवन को स्वस्थ रखना था। किन्तु  पोंगा पंथी  कन्या -पूजन, दान , भजन, ढोंग , शोर शराबा करके वातावरण भी प्रदूषित कर रहे हैं व मानव  जीवन को विकृत भी।  क्या  मनुष्य बुद्धि, ज्ञान व विवेक द्वारा  मनन  ( जिस कारण 'मानव' कहलाता है ) करके   ढोंग-पाखंड-आडंबर का परित्याग करते हुये इन  दोनों नवरात्र  पर्वों को स्वास्थ्य रक्षा  के पर्वों  के रूप में पुनः नहीं मना सकता ?
(विजय राजबली माथुर )

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Sunday 3 April 2016

सहजन और मेवा से उपचार

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नई दिल्ली. आयुर्वेद में 300 रोगों का सहजन से उपचार बताया गया है। दक्षिण भारत में इसके साल भर फली देने वाले पेड़ होते है। जहां इसे सांबर में डाला जाता है। वहीं उत्तर भारत में यह साल में एक बार ही फली देता है। सर्दियां जाने के बाद इसके फूलों की भी सब्जी बना कर खाई जाती है। फिर इसकी नर्म फलियों की सब्जी बनाई जाती है। इसके बाद इसके पेड़ों की छंटाई कर दी जाती है।

हम आपको सहजन के 25 अतिमहत्वपूर्ण गुणों के बारे में बताने जा रहे है। पाठकों को सलाह है कि इसे प्रयोग करने से पहले किसी चिकित्सक की सलाह जरुर लें। 

1- आयुर्वेद में 300 रोगों का सहजन से उपचार बताया गया है। इसकी फली, हरी पत्तियों व सूखी पत्तियों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन-ए, सी और बी कॉम्पलैक्स प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
2- इसके फूल उदर रोगों व कफ रोगों में, इसकी फली वात व उदरशूल में, पत्ती नेत्ररोग, मोच, शियाटिका,गठिया आदि में उपयोगी है|
3- जड़ दमा, जलोधर, पथरी, प्लीहा रोग आदि के लिए उपयोगी है तथा छाल का उपयोग शियाटिका ,गठिया, यकृत आदि रोगों के लिए श्रेयष्कर है|
4- सहजन के विभिन्न अंगों के रस को मधुर, वातघ्न, रुचिकारक, वेदना नाशक, पाचक आदि गुणों के रूप में जाना जाता है|
5- सहजन के छाल में शहद मिलाकर पीने से वात, व कफ रोग शांत हो जाते है| इसकी पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया, शियाटिका, पक्षाघात, वायु विकार में शीघ्र लाभ पहुंचता है| शियाटिका के तीव्र वेग में इसकी जड़ का काढ़ा तीव्र गति से चमत्कारी प्रभाव दिखता है।
6- मोच इत्यादि आने पर सहजन की पत्ती की लुगदी बनाकर सरसों तेल डालकर आंच पर पकाएं तथा मोच के स्थान पर लगाने से शीघ्र ही लाभ मिलने लगता है|
7- सहजन को अस्सी प्रकार के दर्द व 72 प्रकार के वायु विकारों का शमन करने वाला बताया गया है|
8- इसकी सब्जी खाने से पुराने गठिया, जोड़ों के दर्द, वायु संचय, वात रोगों में लाभ होता है।
9- सहजन के ताज़े पत्तों का रस कान में डालने से दर्द ठीक हो जाता है।
10- सहजन की सब्जी खाने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी कटकर निकल जाती है।
11- इसकी जड़ की छाल का काढा सेंधा नमक और हिंग डालकर पीने से पित्ताशय की पथरी में लाभ होता है।
12- इसके पत्तों का रस बच्चों के पेट के कीडें निकालता है और उलटी दस्त भी रोकता है।
13- इसका रस सुबह शाम पीने से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है।
14- इसकी पत्तियों के रस के सेवन से मोटापा धीरे धीरे कम होने लगता है।
15- इसकी छाल के काढ़े से कुल्ला करने पर दांतों के कीड़ें नष्ट होते है और दर्द में आराम मिलता है।
16- सर दर्द में इसके पत्तों को पीसकर गर्म कर सिर में लेप लगाए या इसके बीज घीसकर सूंघे।
17- इसमें दूध की तुलना में ४ गुना कैलशियम और दुगना प्रोटीन पाया जाता है।
18- सहजन के बीज से पानी को काफी हद तक शुद्ध करके पेयजल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।  
19- कैन्सर व पेट आदि शरीर के आभ्यान्तर में उत्पन्न गांठ, फोड़ा आदि में सहजन की जड़ का अजवाइन, हींग और सौंठ के साथ काढ़ा बनाकर पीने का प्रचलन है। 
20- सहजन के गोंद को जोड़ों के दर्द और शहद को दमा आदि रोगों में लाभदायक माना जाता है।
21- आज भी ग्रामीणों की ऐसी मान्यता है कि सहजन के प्रयोग से विषाणु जनित रोग चेचक के होने का खतरा टल जाता है।
22- सहजन में हाई मात्रा में ओलिक एसिड होता है जोकि एक प्रकार का मोनोसैच्युरेटेड फैट है और यह शरीर के लिये अति आवश्यक है।
23- सहजन में विटामिन सी की मात्रा बहुत होती है। विटामिन सी शरीर के कई रोगों से लड़ता है, खासतौर पर सर्दी जुखाम से। अगर सर्दी की वजह से नाक कान बंद हो चुके हैं तो, आप सहजन को पानी में उबाल कर उस पानी का भाप लें। इससे जकड़न कम होगी।
24- इसमें कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है जिससे हड्डियां मजबूत बनती है। इसके अलावा इसमें आइरन, मैग्नीशियम और सीलियम होता है।
25- इसका जूस गर्भवती को देने की सलाह दी जाती है। इससे डिलीवरी में होने वाली समस्या से राहत मिलती है और डिलीवरी के बाद भी मां को तकलीफ कम होती है।

साभार : 

http://www.newspoint360.com/news/health/25-important-qualities-of-sahjan/791.html


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Thursday 17 March 2016

जामुन और इन हरी पत्तियों को अपनी डायट में ज़रूर शामिल करें ------ प्रस्तोता :डॉ आरती कुलश्रेष्ठ

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डायबिटीज के मरीजों को ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल रखने और इंसुलिन का उत्पादन बढ़ाने के लिए अपने खानपान का खास ध्यान रखना पड़ता है। ऐसी कई जड़ी बूटियां और मसाले हैं, जो डायबिटीज के उपचार में सहायक हैं। इन्ही में से एक डिल की पत्तियां (dill leaves) हैं। सौंफ के पौधे जैसे दिखने वाले इस पौधे को शेपु या सुवा भाजी के नाम से भी जाना जाता है। परंपरागत रूप से इसका इस्तेमाल मछली, अंडे और मशरूम बनाने के लिए एक मसाले के रूप में किया जाता है। अमेरिकी बोटनिस्ट डॉक्टर जेम्स ड्यूक के अनुसार, डिल में 70 तरह के केमिकल होते हैं, जिस वजह से ये डायबिटीज के इलाज के लिए प्रभावी जड़ी बूटी है।


डिल ही क्यों
अध्ययनों के अनुसार, डिल की पत्तियों के रस में कई चिकित्सकीय गुण होते हैं, जिस वजह से ये टाइप 2 डायबिटीज के इलाज में सहायक है। जब अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के इलाज और शरीर में हानिकारक सूजन को कम करने के लिए ग्लुकोकोर्टीकोइड (glucocorticoid) थेरेपी का उपयोग किया जाता है, तो ये लंबे समय तक हाइपरग्लाइसेमिया (hyperglycemia) का नेतृत्व कर सकते हैं। ये एक ऐसी स्थिति है, जब टाइप 2 डायबिटीज मरीजों में ग्लूकोज की अतिरिक्त मात्रा हो जाती है। हालांकि डिल के पत्तों का रस पीने से इंसुलिन के स्तर में उतार-चढ़ाव को कम करने और ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल करने में मदद मिलती है। इसके अलावा इसके पत्तों का रस थायराइड कंट्रोल करने और इम्युनिटी सिस्टम मज़बूत करने में भी मददगार है।
इसका इस्तेमाल ऐसे करें
  • भारत में डिल के पत्तों का इस्तेमाल प्याज, लहसुन, अदरक, जीरा, हरी मिर्च और सरसों तेल के साथ मिलाकर सब्जी के रूप में किया जाता है।
  • आप इसके पत्तों का जूस बनाकर भी पी सकते हैं। जूस में नींबू और थोड़ा काला नमक मिलाकर सुबह और शाम को पीने से लाभ होगा।
  • आप डिल के पत्तों को आटे के साथ मिलाकर पराठे भी बना सकते हैं।
  • इसके अलावा इसके पत्तों को सूप, सलाद, अचार और गार्निश के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • डिल के पत्तों को आप कच्चा भी चबा सकते हैं या इसके बीजों का छोंक लगाने में इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • आप इसके बीजों का पाउडर बनाकर दाल और सब्जी में मसाले के रूप में उपयोग कर सकते हैं।
अगर आप टाइप 2 डायबिटीज के मरीज़ नहीं हैं, तो भी डिल खाने से आपको ब्लड शुगर लेवल कम करने और इंसुलिन प्रबंधन करने में मदद मिल सकती है। इसलिए इन हरी पत्तियों को अपनी डायट में ज़रूर शामिल करें।

अगर आप ब्लड शुगर कंट्रोल करने के लिए कड़वे करेले का जूस नहीं पीना चाहते हैं, तो आपके लिए एक स्वादिष्ट विकल्प भी है। जी, हां ये विकल्प है इंडियन ब्लैकबेरी यानि जामुन। जामुन एक स्वादिष्ट फल है, जिसके अनगिनत फायदे हैं। इसका डायबिटीज के इलाज के लिए एक पारंपरिक औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। डायबिटीज के कारण पैदा होने वाली विभिन्न स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों को कम करने के लिए केवल इसका रस ही नहीं बल्कि इसके बीजों का भी इस्तेमाल किया जाता है।


बीपी कंट्रोल करने में जामुन कैसे सहायक है
अध्ययनों से पता चलता है कि जामुन में एक ग्लूकोसाइड (glucoside) तत्व होता है, जो जम्बोलन (jambolan) के नाम से जाना जाता है। इस तत्व का एंटी-डायबिटिक प्रभाव पड़ता है। अध्ययनों के अनुसार, इसमें ब्लड शुगर लेवल 30 फ़ीसदी तक कम करने की क्षमता होती है। इसके अलावा ये डायबिटीज के कारण उत्पन्न जटिलताओं के जोखिम को भी कम करता है। इसमें बहुत कम ग्लाइमिक इंडेक्स (glycemic index) होता है।
इसका इस्तेमाल कैसे करें
  • ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल करने के लिए रोजाना सुबह 5 से 6 जामुन खाएं।
  • एक कप गर्म पानी में एक चम्मच जामुन बीज का पाउडर मिलाकर दिन में दो बार पीने से भी लाभ होता है।