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Sunday 29 November 2015

पान,लहसुन और रामदाना

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भारतीय समाज में पान के पत्‍तों का प्रयोग सदियों से पूजा-पाठ और बारातियों के स्‍वागत जैसे कई चीजों में किया जाता रहा है। पान खाने के शौकीन तो नवाबों से लेकर आम जनता तक रही है। इसमें कोई शक नहीं है कि पान में सुपारी, तंबाकू और चूना मिलाकर खाने से स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी कई बीमारियां हो सकती हैं। लेकिन अगर बात सिर्फ पान के पत्‍तों की की जाए, तो इसके कई स्‍वास्‍थ्‍य लाभ भी हैं। आइए इस लेख के माध्यम से हम आपको बताते हैं पान के ऐसे ही 12 फायदे।
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1) पाचन में सुधार- 
पान के पत्‍ते चबाने में काफी प्रयास करना पड़ता है जिससे लार ग्रंथि पर असर पड़ता है। इससे सलाइव (saliva) लार जारी होने में मदद मिलती है। लार पाचन की दिशा में पहला कदम होता है। इसमें कई ऐसे गुण होते हैं जिनसे खाने को आसानी से पचाने में मदद मिलती है।
2) मुंह के कैंसर से बचाव
पान के पत्‍ते चबाने से सलाइवा (saliva1) में एस्कॉर्बिक एसिड का स्‍तर सही बना रहता है जिससे मुंह के कैंसर के खतरे से बचा जा सकता है। एस्कॉर्बिक एसिड एक उत्‍कृष्‍ट एंटीऑक्सिडेंट है जो बॉड़ी में फ्री रैडिकल को कम करता है।
3) बेहतर माउथ-फ्रेशर
पान के पत्‍तों में कई ऐसे यौगिक होते हैं जो सांसों में बदबू के लिए जिम्‍मेदार बैक्‍टीरिया को खत्‍म करते हैं। इसके अलावा पान में लौंग, सौंफ, इलायची जैसे विभिन्न मसाले मिलने से ये एक बेहतरीन माउथ-फ्रेशर भी बन जाता है।
4) सेक्‍स पावर
पान को सेक्‍स का सिंबल भी माना जाता है। सेक्‍स संबंध से पहले खाने से इस क्रिया का अधिक सुख लिया जा सकता है। इसलिए नए जोड़े को पान खिलाने की परंपरा भी काफी पुरानी है। पढ़ें-  पान काली मिर्च के साथ खाये और वज़न घटायें
5) गैस्ट्रिक अल्सर-
 पान के पत्‍ते के रस को गैस्‍ट्रोप्रोटेक्टिव गतिविधी के लिए भी जाना जाता है जिससे गैस्ट्रिक अल्सर को रोकने में मदद मिलती है।
6) मसा का उपचार
पान के पत्ते मसा के इलाज में प्रयुक्त विभिन्न आयुर्वेदिक दवाओं में से प्रमुख घटक हैं। इस दवा के इस्तेमाल से बिना कोई निशान छाेड़े मसा को पूरी तरह से सही किया जा सकता है।
7) बाल तोड़ में सहायक
इसका आयुर्वेद में बाल तोड़ फोड़े-फुंसी के इलाज के लिए इस्‍तेमाल किया जाता है। पान के पत्‍ते गरम करके उसमें आरंडी का तेल लगाकर फोड़े पर लगाने से आराम मिलता है।
8) डायबिटीज में सहायक
पान के पत्ते का ब्‍लड शुगर कन्‍ट्रोल करने में सहायक होते हैं। और इसे एंटी डायबिटिक गुण के लिए भी जाना जाता है।
9) खांसी करे सही
पान के पत्‍ते में शहद लगाकर खाने से खांसी में आराम मिलता है। इसके अलावा इससे छाती से बलगम दूर किया जा सकता है।
10) सिरदर्द में राहत
पान को एनाल्जेसिक (analgesic) गुण के लिए भी जाना जाता है। पान के पत्‍तों को दर्द वाले हिस्‍से पर लगाने से आराम मिलता है।
11) घाव भरने में सहायक
पाने के पत्‍तों का रस घाव पर लगाने और उस पर पट्टी बांधकर दो दिन के भीतर घाव को सही किया जा सकता है।
12) कब्‍ज करेगा सही

पान के पत्‍ते के डंठल को आरंडी के तेल में मिलाकर खाने से कब्‍ज से राहत पाई जा सकती है। इसके अलावा पान के पत्‍ते के साथ फ्लैक्‍सीड, त्रिफला और नींबू के सेवन से भी कब्‍ज का इलाज किया जा सकता है।

साभार :
http://www.thehealthsite.com/hindi/diseases-and-conditions-articles-in-hindi-these-are-some-amazing-health-benefits-of-betel-leaves-in-hindi-u1115/

Thursday 21 May 2015

मोतियाबिंद से बचाव और उपचार---आयुर्वेदिक चिकित्सा

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मोतियाबिंद से बचाव और उपचार:
जब आँख के लैंस की पारदर्शिता हल्की या समाप्त होने लगती है धुंधला दिखने लगता है तो उसे मोतियाबिंद कहते है । इस रोग में आँखों की काली पुतलियों में सफ़ेद मोती जैसा बिंदु उत्पन्न होता है जिससे व्यक्ति की आँखों की देखने की क्षमता कम हो जाती है ज्यादातर यह रोग 40 वर्ष के बाद होता है। मोतियाबिंद उम्र , मधुमेह, विटामिन या प्रोटीन की कमी , संक्रमण, सूजन या किसी चोट की वजह से भी सकता है ।
* मोतियाबिंद से बचाव के लिए सुबह जागने के बाद मुंह में ठंडा पानी भरकर पूरी आँखें खोलकर आंखों पर पानी के 8-10 बार छींटे मारें।
* 1 चम्मच त्रिफला चूर्ण, आधा चम्मच देसी घी और 1 चम्मच शहद को मिला लें। इसे रोज सुबह खाली पेट ले। इससे मोतियाबिंद के साथ-साथ आंखों की कई दूसरी बीमारियों से भी बचाव होता है।
* मोतियाबिंद से बचने और आँखों की रौशनी तेज करने लिए प्रतिदिन गाजर, संतरे, दूध और घी का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें।
* एक बूंद प्याज का रस और एक बूंद शहद मिलाकर इसे काजल की तरह रोजाना आंख में लगाएं। आँखों की समस्या शीघ्र ही दूर होगी।
* एक चम्मच घी, दो काली मिर्च और थोड़ी-सी मिश्री मिलाकर दिन में तीन बार इसका सेवन करें ।
* सौंफ और धनिया को बराबर मात्रा में लेकर उसमें हल्की भुनी हुई भूरी चीनी मिलाएं इसको एक एक चम्मच सुबह शाम सेवन करने से भी बहुत लाभ मिलता है।
* 6 बादाम की गिरी और 6 दाने साबुत काली मिर्च पीसकर मिश्री के साथ सुबह पानी के साथ लेने पर भी मोतियाबिंद में लाभ मिलता है।
* आँखोँ की तकलीफ में गाय के दूध का नियमित रूप से सेवन करना चाहिए ।
* गाजर, पालक, आंवलें के रस का सेवन करने से मोतियाबिंद 2-3 महीने में कटकर ख़त्म हो जाता है ।
* एक चम्मच पिसा हुआ धनिया एक कप पानी में उबाल कर छान लें ठंडा होने पर सुबह शाम आँखों में डाले इससे भी मोतियाबिंद में आराम मिलता है ।
* हल्दी मोतियाबिंद होने से रोकती है। हल्दी में करक्युमिन नामक रसायन होता है जो रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाता है और साइटोकाइन्स तथा एंजाइम्स को नियंत्रित करता है।इसलिए हल्दी का अधिक से अधिक सेवन करना चाहिए।
* आंखों में मोतियाबिंद और रतौंधी हो जाने पर नीम के तेल को सलाई से आंखों में अंजन की तरह से लगाएं
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Monday 20 October 2014

खान-पान और स्वास्थ्य का खजाना


हमारे खान-पान में ऐसी कई चीजें शामिल हैं, जिनमें खूबसूरती और स्वास्थ्य का खजाना छिपा होता है। दही भी एक ऐसा ही खजाना है, जिसका उपयोग हर तरह से फायदेमंद है। आइए जानें दही के गुण-



दही के रोजाना सेवन से शरीर की बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। दही में अजवाइन मिलाकर पीने से कब्ज की शिकायत दूर होती है। गर्मी के मौसम में दही की छाछ या लस्सी पीने से पेट की गर्मी शांत होती है। इसे पीकर बाहर निकले तो लू से भी बचाव होता है। दही पाचन क्षमता बढ़ाता है। दही में कैल्शियम प्रचुर मात्रा में होता है। इसे रोजाना खाने से पेट की कई बीमारियाँ ठीक हो जाती हैं। दही का रोजाना सेवन सर्दी और साँस की नली में होने वाले इंफेक्शन से बचाता है। अल्सर जैसी बीमारी में दही के सेवन से विशेष लाभ मिलता है। मुँह में छाले होने पर दही के कुल्ला करने से छाले ठीक हो जाते हैं।  http://hindi.webdunia.com/home-remedies/