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Sunday 30 June 2019

चेरी,आम,नीम,चाय , काफी से चिकित्सा

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Monday 28 January 2019

ग्लूकोमा क्या है और इसे साइलेंट किलर के रूप में क्यों जाना जाता है? ------ डॉक्‍टर शिबल भारतीय




ग्लूकोमा दुनिया भर में अंधापन के प्रमुख कारणों में से एक है। अकेले भारत में, करीब 12 मिलियन लोग ग्लूकोमा से पीड़ित हैं, लेकिन अच्छी खबर यह है कि अगर इस रोग का जल्दी पता चल जाए तो समस्या का समाधान किया जा सकता है। फोर्टिस हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट, ऑपथैल्मोलॉजी डॉक्‍टर शिबल भारतीय ने इस वीडियो में बीमारी को दूर करने के उपाय बताए हैं। :



ग्लूकोमा को आम भाषा में काला मोतिया भी कहा जाता है। हमारी आंख एक गुब्बारे की तरह होती है जिसके भीतर एक तरल पदार्थ भरा होता है। आंखों का यह तरल पदार्थ लगातार आंखों  के अंदर बनता रहता है और बाहर निकलता रहता है। आंखों के इस तरल पदार्थ के पैदा होने और बाहर निकलने की इस प्रक्रिया में जब कभी दिक्‍कत आती है तो आंखों में दबाव बढ जाता है। आंखों में कुछ ऑप्टिक नर्व भी होती हैं जिनकी मदद से किसी वस्तु के बारे में संकेत दिमाग को मिलता है। आंखों पर बढा दबाव इन ऑप्टिक नर्व को डैमेज करने लगता है और आंखों की रोशनी धीरे-धीरे कमजोर होने लगती है। अगर इसके शुरूआती लक्षणों का पता न चले तो आदमी अंधा हो सकता है।

ग्लूकोमा के शुरुआती लक्षण क्या हैं? :

ओपेन एंगल ग्लूककोमा का कोई लक्षण नहीं होता है, इसमें दर्द नहीं होता और न ही नजर में कोई कमी महसूस होती है। ग्लूकोमा के कुछ लक्षण ये हो सकते हैं : 
*चश्मे के नंबर में बार-बार बदलाव।
** पूरे दिन के काम के बाद शाम को आंख में या सिर में दर्द होना। 
*** बल्ब के चारों तरफ इंद्रधनुषी रंग दिखाई देना। 
**** अंधेरे कमरे में आने पर चीजों पर फोकस करने में परेशानी होना। ***** साइड विजन को नुकसान होना और बाकी विजन नॉर्मल बनी रहती हैं।

मोतियाबिंद किन कारणों से होता है? इसका निदान कैसे किया जा सकता है? : 

मोतियाबिंद का निदान मैन्युअल रूप से नहीं किया जा सकता है और यहां तक कि कारणों का पता नहीं लगाया जा सकता है। प्राथमिक मोतियाबिंद के लिए एकमात्र कारण आनुवंशिकता है। जबकि द्वितीयक मोतियाबिंद के कुछ विशेष कारण हैं जैसे आंख में चोट, स्टेरॉयड का उपयोग या सर्जरी के बाद का प्रभाव।

लोग अक्सर मोतियाबिंद और ग्लूकोमा के बीच भ्रमित होते हैं, दोनों में क्या अंतर है?

दोनों में बहुत बड़ा अंतर है। मोतियाबिंद आंख के लेंस को प्रभावित करता है जबकि मोतियाबिंद आंख के ऑप्टिक तंत्रिका को प्रभावित करता है। मोतियाबिंद के कारण होने वाला अंधापन प्रतिवर्ती है जबकि मोतियाबिंद के कारण होने वाला अंधापन अपरिवर्तनीय है।

ग्लूकोमा विकसित होने का खतरा किसमें अधिक है? : 

ग्लूकोमा को आंख के अल्जाइमर के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यह उम्र बढ़ने से संबंधित है। लेकिन ग्लूकोमा का प्रकार भी एक कारक है, एंगल क्‍लोजर ग्‍लूकोमा युवाओं को भी प्रभावित कर सकता है और 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में ओपन एंगल मोतियाबिंद अधिक पाया जाता है। नवजात ग्लूकोमा भी है।

अगर परिवार में मोतियाबिंद का इतिहास है तो इसे रोकने के लिए क्या किया जा सकता है?

यदि परिवार में मोतियाबिंद का इतिहास है, तो आप एक उच्च जोखिम में हैं। ऐसी स्थिति में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आपकी आंखों की हर साल जांच हो रही है या नहीं, क्योंकि आपका डॉक्टर प्रारंभिक अवस्था में बीमारी का पता लगा सकता है और अंधापन को रोक सकता है। आपको स्टेरॉयड के उपयोग से बचना चाहिए और जितना हो सके धूम्रपान से भी बचना चाहिए।

यदि ग्लूकोमा का निदान किया जाता है, तो उपचार की कौन सी बात है जिसका पालन करने की आवश्यकता है?

इसके लिए आपको विभिन्‍न परीक्षणों से गुजरना पड़ सकता है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण चरण आंखों के दबाव और दृश्य क्षेत्रों का माप है। बाद में ऑप्टिक तंत्रिका की मोटाई मापने के लिए OCT किया जाता है।

आई ड्रॉप का उपयोग करते समय, क्या सावधानियां बरतनी चाहिए? : 


सबसे पहले, आपको अपने हाथों को अच्छी तरह से साफ करना चाहिए और हमेशा ड्रॉप की एक्‍सपायरी डेट की जांच करनी चाहिए। इसके अलावा, सुनिश्चित करें कि आप अपने हाथों से आई ड्रॉप की नोक को कभी न छूएं। इसे सीधे अपने नंगे हाथों से स्पर्श करना आपको दूषित कर सकता है। बूंदों को डालने के लिए आपको पहले निचले ढक्कन को नीचे खींचना चाहिए और दवा को छोड़ देना चाहिए। अब अपनी आँखें बंद करें और टिसू की मदद से आंख के बाहर फैली दवाई को पोंछ लें। अब धीरे से आंख के बाएं कोने को दस सेकंड के लिए दबाएं।

https://www.onlymyhealth.com/health-videos/glaucoma-signs-symptoms-and-prevention-in-hindi-1548679893.html?utm_source=izooto&utm_medium=push_notifications&utm_campaign=&utm_content=&utm_term=

Thursday 17 January 2019

मोतियाबिंद का आयुर्वेदिक उपचार ------ अतुल मोदी

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हम में से अधिकांश लोगों को चाहे हम इस बात को स्‍वीकार करें या नहीं, बढ़ती उम्र के साथ आने वाले स्‍वास्‍थ्‍य जोखिम का डर सताता रहता है। अगर आपके आस-पास भी 50 साल की उम्र के लोग रहते हैं, तो आपको उम्र के साथ आने वाली स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं से अच्‍छी तरह से परिचित होना चाहिए। उम्र के साथ, हमारे शरीर की कोशिकाएं कमजोर होने लगती है और उनके नवीनीकरण की क्षमता भी धीरे-धीरे कम हो जाती है, इनके चलते अंग कमजोर होने लगते हैं। हालांकि उम्र से संबंधित बीमारियां और विकार बहुत अधिक संख्‍या में हैं, लेकिन अल्‍जाइमर रोग, डायबिटीज, अर्थराइटिस, ऑस्टियोपोरोसिस, मोतियाबिंद आदि बहुत ही आम है।
मोतियाबिंद की समस्‍या  : 
मोतियाबिंद एक ऐसी समस्‍या है, जो व्‍यक्ति की आंखों को प्रभावित और दृष्टि को बाधित करती है। आंखों के लेंस पर प्रोटीन का निर्माण और दृष्टि धुंधली हो जाने पर मोतियाबिंद विकसित होता है। मोतियाबिंद की समस्‍या आमतौर पर 65 वर्ष की आयु से ऊपर के लोगों में पाई जाती है। हालांकि, दुर्लभ मामलों में, मोतियाबिंद शिशुओं में हो सकता है, अगर वह आंख दोष के साथ पैदा होते हैं और इस अवस्‍था को जन्‍मजात मोतियाबिंद के रूप में जाना जाता है। आमतौर पर, मोतियाबिंद को हटाने के लिए शल्‍य चिकित्‍सा की जरूरत होती है लेकिन यह 100 प्रतिशत सफल नहीं होता।

मोतियाबिंद के लिए अजमोद   : 

अगर मोतियाबिंद के विकास को कम करने के लिए प्राकृतिक उपायों की खोज कर रहे हैं तो अजमोद हर्ब बहुत ही कारगर साबित हो सकता है। अजमोद पत्तियों में विटामिन ‘ए’ बहुत अधिक मात्रा में मौजूद होता है और यह वह विटामिन है जो आंखों को स्‍वस्‍थ रखने के लिए जरूरी होता है। यह प्राकृतिक उपचार कैरोटेनॉयड्स जैसे लुटीन और जिएक्सेन्थिन से भरपूर होता है, इसलिए यह मोतियाबिंद के विकास की संभावना को कम करने में मदद करता है। और अगर आपको मोतियाबिंद है, तो यह तो से समस्‍या के उपचार में मदद करता है। इसके अलावा, अजमोद के पत्ते आंखों को नमी प्रदान कर, आंखों की ड्राईनेस से राहत देने वाले हर्ब के रूप में जाना जाता है। आइए जानें मोतियाबिंद के विकास को कम करने के लिए अजमोद को प्रभावी ढंग से कैसे इस्‍तेमाल किया जा सकता है।

आवश्यक सामग्री:

अजमोद पत्तियां: 6-7
शहद: 2 चम्मच
उपचार बनाने और उपयोग की विधि:
अजमोद के पत्‍तों को अच्‍छी तरह से धो लें।
फिर इसे ब्‍लेंडर में पानी के साथ पीसकर इसका जूस निकाल लें।
अब जूस को एक कप में निकालकर इसमें 2 चम्‍मच शहद मिला लें।
आपका स्वास्थ्य पेय पीने के लिए तैयार है।
आप इस जूस के 1 गिलास को नियमित रूप से रात को खाने से पहले खाली पेट लें।

इस उपाय को नियमित रूप से लेने से आपको कुछ ही दिनों में फायदा नजर आने लगेगा।
अन्‍य घरेलू उपचार :
:* सौंफ और धनिया को समान मात्रा में लेकर उसमें भूरी शक्कर मिलाएं। इसे 10-10 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से लाभ होता है। 
** 6 बादाम और 7 कालीमिर्च को पीसकर पानी मिलाकर छलनी से छान लें। उसमें मिश्री मिलाकर पीने से लाभ होता है। 
*** 10 ग्राम गिलोय के रस में 1-1 टी स्पून सेंधा नमक व शहद मिलाकर बारीक़ पीसकर रख लें। इसे काजल की तरह आंखों में लगाएं। 

**** त्रिफला को पानी में पीसकर पेस्ट बना लें। इसे आंखों पर रखकर पट्टी बांध दें। 
 ------ Atul Modi

 ओन्‍ली माई हैल्‍थ सम्पादकीय विभाग Jan 16, 2019

https://www.onlymyhealth.com/ayurvedic-treatment-for-cateract-in-hindi-1547643016?utm_source=izooto&utm_medium=push_notifications&utm_campaign=2&utm_content=&utm_term=



Sunday 15 July 2018

दृष्टिहीनता का उपचार ------ डॉ संजय तेवतिया

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Sunday 13 August 2017

सर्जरी के बाद लापरवाही नहीं ------ शमीम खान / खांसी-जुकाम और भाप ------ रुचि शर्मा

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Thursday 21 May 2015

मोतियाबिंद से बचाव और उपचार---आयुर्वेदिक चिकित्सा

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मोतियाबिंद से बचाव और उपचार:
जब आँख के लैंस की पारदर्शिता हल्की या समाप्त होने लगती है धुंधला दिखने लगता है तो उसे मोतियाबिंद कहते है । इस रोग में आँखों की काली पुतलियों में सफ़ेद मोती जैसा बिंदु उत्पन्न होता है जिससे व्यक्ति की आँखों की देखने की क्षमता कम हो जाती है ज्यादातर यह रोग 40 वर्ष के बाद होता है। मोतियाबिंद उम्र , मधुमेह, विटामिन या प्रोटीन की कमी , संक्रमण, सूजन या किसी चोट की वजह से भी सकता है ।
* मोतियाबिंद से बचाव के लिए सुबह जागने के बाद मुंह में ठंडा पानी भरकर पूरी आँखें खोलकर आंखों पर पानी के 8-10 बार छींटे मारें।
* 1 चम्मच त्रिफला चूर्ण, आधा चम्मच देसी घी और 1 चम्मच शहद को मिला लें। इसे रोज सुबह खाली पेट ले। इससे मोतियाबिंद के साथ-साथ आंखों की कई दूसरी बीमारियों से भी बचाव होता है।
* मोतियाबिंद से बचने और आँखों की रौशनी तेज करने लिए प्रतिदिन गाजर, संतरे, दूध और घी का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें।
* एक बूंद प्याज का रस और एक बूंद शहद मिलाकर इसे काजल की तरह रोजाना आंख में लगाएं। आँखों की समस्या शीघ्र ही दूर होगी।
* एक चम्मच घी, दो काली मिर्च और थोड़ी-सी मिश्री मिलाकर दिन में तीन बार इसका सेवन करें ।
* सौंफ और धनिया को बराबर मात्रा में लेकर उसमें हल्की भुनी हुई भूरी चीनी मिलाएं इसको एक एक चम्मच सुबह शाम सेवन करने से भी बहुत लाभ मिलता है।
* 6 बादाम की गिरी और 6 दाने साबुत काली मिर्च पीसकर मिश्री के साथ सुबह पानी के साथ लेने पर भी मोतियाबिंद में लाभ मिलता है।
* आँखोँ की तकलीफ में गाय के दूध का नियमित रूप से सेवन करना चाहिए ।
* गाजर, पालक, आंवलें के रस का सेवन करने से मोतियाबिंद 2-3 महीने में कटकर ख़त्म हो जाता है ।
* एक चम्मच पिसा हुआ धनिया एक कप पानी में उबाल कर छान लें ठंडा होने पर सुबह शाम आँखों में डाले इससे भी मोतियाबिंद में आराम मिलता है ।
* हल्दी मोतियाबिंद होने से रोकती है। हल्दी में करक्युमिन नामक रसायन होता है जो रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाता है और साइटोकाइन्स तथा एंजाइम्स को नियंत्रित करता है।इसलिए हल्दी का अधिक से अधिक सेवन करना चाहिए।
* आंखों में मोतियाबिंद और रतौंधी हो जाने पर नीम के तेल को सलाई से आंखों में अंजन की तरह से लगाएं
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