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Saturday 12 October 2013

डायबिटीज़ का घरेलू उपचार एवं स्वास्थ्य ---



A woman (65) was diabetic for the last 20+ years
and
was taking insulin
twice a day.
She used the enclosed homemade medicine for a fortnight and
now she is absolutely free of diabetes and taking all her food as normal
including sweets.

The doctors have advised her to stop insulin and any other blood sugar controlling drugs.
I request you all please circulate the email below to as many people as you
can and let them take maximum benefit from it.

AS RECEIVED :
DR. TONY ALMEIDA
( Bombay Kidney Speciality expert )
made the extensive experiments with perseverance and patience and discovered a
successful treatment for diabetes.
Now a days a lot of people, old men &
women in particular suffer a lot due to Diabetes.

Ingredients:
1 - Wheat 100 gm
2 - Gum(of tree) (gondh) 100 gm
3 - Barley 100 gm
4 - Black Seeds (kalunji) 100 gm

Method of Preparation :
Put all the above ingredients in 5 cups of water.
Boil it for 10 minutes and put off the fire.
Allow it to cool down by itself.
When it has become cold, filter out the
seeds and preserve water in a glass jug or bottle.

How to use it?
Take one small cup of this water every day early morning when your stomach is empty.
Continue this for 7 days.Next week repeat the same but on alternate days. With these 2 weeks of
treatment you will wonder to see that you have become normal and can eat
normal food without problem.

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Naturopathy Cure for Diabetes & High Blood Pressure By Vegetable Lady Finger (OKRA)

Take two pieces of Lady Finger and cut both ends of each Piece. Also put these two pieces in glass of water.

Cover the glass and keep it during the night in room temperature.
Early morning after Fresh up , before breakfast remove the pieces of lady Finger from the glass and drink that water.

Keep doing it on daily basis. Within two weeks, you will see remarkable results in reduction of your SUGAR and B.P.

You have to stop Insulin and other Medicine and continues to take the lady fingers every day.keep taking it for a few months before U see results, as most cases might be chronic.

Please. try it as it will do not harm you.

HEALTHY JUICES:

Carrot + Ginger + Apple - Boost and cleanse our system.

Apple + Cucumber + Celery - Prevent cancer, reduce cholesterol, and eliminate stomach upset and headache.

Tomato + Carrot + Apple - Improve skin complexion and eliminate bad breath.

Bitter gou rd + Apple + Milk - Avoid bad breath and reduce internal body heat.

Orange + Ginger + Cucumber - Improve Skin texture and moisture and reduce body heat.

Pineapple + Apple + Watermelon - To dispel excess salts, nourishes the bladder and kidney.

Apple + Cucumber + Kiwi - To improve skin complexion.

Pear & Banana - regulates sugar content.

Carrot + Apple + Pear + Mango - Clear body heat, counteracts toxicity, decreased blood pressure and fight oxidization .

Honeydew + Grape + Watermelon + Milk - Rich in vitamin C + Vitamin B2 that increase cell activity and str engthen body immunity.

Papaya + Pineapple + Milk - Rich in vitamin C, E, Iron. Improve skin complexion and metabolism.

Banana + Pineapple + Milk - Rich in vitamin with nutritious and prevent constipation

Monday 2 September 2013

किलर न बन जाएं पेनकिलर और जानें यह ताकि दर्द न बन जाए एलोपेथी दवायेँ!




क्या हैं नुकसान ?
- जरूरत से ज्यादा लेने पर पेनकिलर्स घातक हो सकती हैं। कहा जाता है कि एक साल तक पेनकिलर्स को रोज इस्तेमाल किया जाए, तो ये बेहद नुकसानदायक हो सकती हैं।
- एक अनुमान के मुताबिक जिंदगी में एक हजार से ज्यादा पेनकिलर्स खाने से किडनी खराब हो सकती है। अगर आपको सौ साल जीना है, तो साल में 10 गोली से ज्यादा कभी न लें।
- पेनकिलर्स लगातार लेते रहने से किडनी और लिवर में जहर बन सकता है। पेट में ब्लीडिंग भी हो सकती है।
- उबकाई आना, सुस्ती, मुंह सूखना, अचानक ब्लड प्रेशर कम होना और कब्ज जैसी शिकायतें भी हो सकती हैं।

क्या बरतें सावधानियां

- जब तक हो सके, दर्द सहन कर लें। पेनकिलर का इस्तेमाल मजबूरी में ही करें।
- पेनकिलर लेने की वजह से अगर पेट दर्द होता है, तो सबसे पहले उस पेनकिलर का इस्तेमाल बंद कर दें। एक एंटैसिड (डाइजीन, जिनटैक आदि) लें और डॉक्टर से सलाह लें।
- कोई भी पेनकिलर बेस्ट नहीं है, सिर्फ किसी का असर कम साइड इफेक्ट के साथ ज्यादा हो सकता है।
- दिल, बीपी, डायबीटीज और किडनी के मरीजों को बिना डॉक्टर की सलाह के कोई पेनकिलर नहीं लेना चाहिए।
- खाली पेट बिल्कुल न लें। कई तरह के पेनकिलर्स को खाली पेट लेने से किडनी, लिवर और पेट को नुकसान हो सकता है।
- आम आदमी बिना डॉक्टर से पूछे सिर्फ एक पेनकिलर ले सकता है और वह है पैरासीटामोल ।

दवाओं से होने वाले कुछ साइड इफेक्ट और उनसे बचने के तरीके

1. कब्ज
साबुत अनाज और ज्यादा फाइबर वाले फल और सब्जियां, जैसे सेब, आलूबुखारा, बींस और ब्रोकली खाएं और खूब सारा लिक्विड लें।

2. दिन में सुस्ती
आपकी यह समस्या शरीर के संबंधित दवा के साथ ऐडजस्ट कर लेने पर खत्म हो सकती है। अपने डॉक्टर से ऐसी दवा रात में सोने से पहले लेने के बारे में पूछें। अगर सुस्ती लग रही हो तो गाड़ी न चलाएं और न ही कोई भारी उपकरण चलाएं।

3. डायरिया
हल्का और कम फाइबर वाला भोजन लें जैसे सेब की चटनी, चावल और दही। जब तक तबियत सामान्य न हो जाए, मसालेदार और फैट वाली चीजों से परहेज करें।

4. चक्कर आना
बैठे हों या लेटे हों तो धीरे-धीरे उठें।

5. मुंह सूखना
बिना शुगर वाली कैंडी ले सकते हैं। इसके साथ पूरे दिन बार-बार पानी के घूंट लेते रहें।

6. सिरदर्द
यह समस्या शरीर के दवा के साथ ऐडजस्टमेंट के बाद दूर हो सकती है। ऐसा न हो तो अपने डॉक्टर से सिरदर्द ठीक करने के लिए दवा पूछ सकते हैं।

7. भूख न लगना
थोड़ा-थोड़ा बार-बार खाने की कोशिश करें। खाने में अपनी पसंदीदा चीजें शामिल करें। खाने से पहले थोड़ा टहलें। इससे आपको ज्यादा भूख महसूस होगी।

8. पेट खराब होना या मितली
डॉक्टर से पूछें कि दवा खाने के साथ ले सकते हैं या नहीं। खाना खाने के साथ दवा लेना बेहतर हो सकता है। दो या तीन बार ज्यादा मात्रा में खाने के बजाय थोड़ा-थोड़ा बार-बार खाएं। हल्का खाना खाएं, जैसे कि सूखे मुरमुरे या ब्रेड। तला, घी वाला, मसालेदार या मीठा खाने से परहेज करें।

9. घबराहट महसूस होना
आपकी यह समस्या दवा के साथ शरीर के ऐडजस्ट होने के बाद खत्म हो सकती है। अपने डॉक्टर से सलाह लेकर दवा की डोज कम कर सकते हैं।

10. यौन समस्याएं
आप दवा की डोज कम करने या दवा का कोई दूसरा विकल्प लेने के बारे में अपने डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं।

11. नींद संबंधी समस्याएं
कैफीन, निकोटीन, अल्कोहल जैसी चीजों से परहेज करें। दोपहर में या शाम को एक्सरसाइज न करें। अपने बेडरूम का माहौल शांत, अंधेरा और ठंडा रखें।

12. सूर्य की रोशनी से संवेदनशीलता
सीधी धूप से बचें। संभव हो तो पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें, हैट लगाएं और अपने डॉक्टर की सलाह के हिसाब से सनस्क्रीन क्रीम का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।


https://www.facebook.com/pages/homeopathy-miracles-by-drmagic/361673333865801?ref=ts&fref=ts



जानें इन सवालों के जवाब ...ताकि दर्द न बन जाए दवा!

दवाएं दर्द मिटाने और बीमारी भगाने के लिए होती हैं, लेकिन अगर उन्हें सही तरीके और सही मात्रा में न लिया जाए तो वे दर्द की वजह भी बन सकती हैं। ऐलोपैथिक दवाओं के मामले में तो ऐसी आशंका और भी ज्यादा होती है।
आप जो दवाएं ले रहे हैं, वे आपके लिए सुरक्षित हैं या नहीं, यह सुनिश्चित जरूर करें। मरीज जो भी दवाएं ले रहे हैं, उनके बारे में हर तरह की जानकारी उन्हें मिलनी चाहिए।
आपके लिए बेहद जरूरी है इन सवालों के जवाब जानना:

1. साइड इफेक्ट
आप जो भी दवा लेते हैं, उसके साइड इफेक्ट के बारे में जरूर पता करें। ओटीसी यानी ओवर द काउंटर कैटिगरी में आने वाली दवाओं के भी कुछ साइड इफेक्ट होते हैं। इसकी जानकारी दवा के रैपर या बॉटल पर लिखी होती है। डॉक्टर की पर्ची देखकर मिलने वाली दवाओं के साथ भी एक पर्चा जरूर आता है, जिस पर दवा के संभावित साइड इफेक्ट लिखे होते हैं। युवाओं और पूरी तरह फिट कॉलेज स्टूडेंट्स को भी साइड इफेक्ट हो सकते हैं। कुछ लोगों को साइड इफेक्ट का खतरा ज्यादा होता है। उदाहरण के तौर पर बर्थ कंट्रोल वाली दवाएं ब्लड में क्लॉट बनने का कारण बन सकती हैं।

2. आपसी प्रभाव
आप जो दवाएं ले रहे हैं, उनके संभावित पारस्परिक प्रभाव को जानें। कई बार दवा के साथ आने वाले पर्चे पर उससे संबंधित साइड इफेक्ट के साथ दूसरी दवाओं के साथ इसके पारस्परिक प्रभाव की भी जानकारी होती है। कई दवाओं के गंभीर पारस्परिक प्रभाव दिखते हैं। कोई भी नई दवा शुरू करने से पहले जांच करें। उदाहरण के तौर पर अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिव डिस्ऑर्डर में ली जाने वाली दवा एडरआल (Adderall) कई एंटी डिप्रेशन दवाओं के साथ पारस्परिक प्रभाव छोड़ती है। पारस्परिक प्रभाव आमतौर पर दो अलग तरह की दवाओं के बीच होता है, मगर ऐसा खाने-पीने की कुछ खास चीजों और तंबाकू से भी हो सकता है। डिप्रेशन में ली जाने वाली दवा मोनामाइन ऑक्सिडेज इनहिबिटर लेने के साथ आप चीज, मीट, सोया सॉस, बीयर और वाइन आदि का इस्तेमाल नहीं कर सकते।

3. एनसेड दवाओं का असर
एनसेड जैसे इब्यूप्रोफेन (Ibuprofen) का इस्तेमाल हर समय नहीं हो सकता। एक ही तरह की दवा का बार-बार इस्तेमाल कई तरह के गंभीर साइड इफेक्ट का कारण बन सकता है। इब्यूप्रोफेन और ऐस्पिरिन जैसी ओटीसी दवाओं का एक जाना-पहचाना साइड इफेक्ट होता है। ये दवाएं आंतों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। बहुत सारी एनसेड्स, ओवर द काउंटर दवाएं (जो टाइलेनॉल या ऐस्पिरिन नही हैं) भी पेट की गंभीर समस्या का कारण बन सकती हैं। इनकी वजह से पेट का अल्सर या ब्लीडिंग हो सकती है। अगर इब्यूप्रोफेन को ज्यादा मात्रा में खाली पेट इस्तेमाल करते हैं तो गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्या हो सकती है। जहां तक हो सके अपनी मर्जी से इन दवाओं का इस्तेमाल न करें। इस तरह की दिक्कतों से बचने का एक ही तरीका है, जब तक बहुत जरूरी न हो, दवा न लें और लें तो अपने लक्षणों के हिसाब से ही लें। उदाहरण के तौर पर एसिटामिनोफेन (Acetaminophen) बुखार और फ्लू जैसे लक्षणों में ठीक रहती है जबकि इब्यूप्रोफेन दर्द से निजात के लिए ठीक है। बहुत सारे लोग इब्यूप्रोफेन का इस्तेमाल करते हैं। यह किडनी और पेट पर भारी पड़ सकता है।

4. एसिटामिनोफेन से सावधान
ओटीसी दवा एसिटामिनोफेन को भारत में लोग पैरासिटामॉल के नाम से जानते हैं। वायरल आदि के दर्द या बुखार से राहत के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसके भी इब्यूप्रोफेन जैसे साइड इफेक्ट देखे गए हैं। यह शरीर में जाकर अल्कोहल की तरह प्रतिक्रिया करती है। ऐसे में अगर टाइलेनॉल (tylenol) यानी मामूली दर्द निवारक दवा और अल्कोहल अगर एक समय पर लिया जाए तो लिवर को संघर्ष करना पड़ता है। यही वजह है कि अगर आप पैरासिटामॉल लेते हैं और ज्यादा मात्रा में डिंक करते हैं तो लिवर को नुकसान हो सकता है।

5. खांसी की दवा
खांसी को दबाने वाले सिरप खांसी आने की उत्तेजना को कम करते हैं। इसे सप्रेसेंट कहते हैं। खांसी की वजह पर असर करने वाली दवा बलगम बाहर निकालती है। इसे एक्सपेक्टरेंट कहते हैं। अगर आपको सूखी खांसी है तो सप्रेसेंट का इस्तेमाल करें और अगर बलगम वाली खांसी है तो एक्सपेक्टरेंट का। गलत दवा का इस्तेमाल आपकी तकलीफें बढ़ा सकता है। आमतौर पर खांसी की दवाएं उतनी असरदार नहीं होतीं जितना विज्ञापनों में दावा किया जाता है।

6. मात्रा का ध्यान
कोई भी दवा न्यूनतम आवश्यक मात्रा में ही इस्तेमाल करें। किसी भी दवा का इस्तेमाल उतनी ही मात्रा में करें, जितनी जरूरत हो। जितना जरूरी है सही प्रकार की दवा का इस्तेमाल, उतना ही जरूरी है सही मात्रा में इस्तेमाल। ज्यादा मात्रा में दवा का इस्तेमाल शरीर के लिए नुकसानदेय है। मसलन इब्यूप्रोफेन का पेट पर असर होता है। हमेशा डॉक्टर की लिखी गई डोज का ही इस्तेमाल करें। ज्यादा मात्रा में दवा लेने का मतलब यह नहीं है कि आपकी परेशानी जल्द ठीक हो जाएगी, बल्कि इससे दवा का नुकसान ज्यादा होगा।

7. एंटीबायोटिक का इस्तेमाल
एंटीबायोटिक और दूसरी दवाओं का इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह से ही करें। एंटीबायोटिक महत्वपूर्ण दवा होती है। अगर आप इसका पूरा कोर्स नहीं लेंगे तो इंफेक्शन और खराब स्थिति में पहुंच सकता है। यह भी याद रखें कि एंटीबायोटिक वायरल इंफेक्शन जैसे फ्लू ठीक नहीं करता। अगर आपको फ्लू है और एंटीबायोटिक इस्तेमाल कर रहे हैं तो आपको कोई फायदा नहीं होने वाला है। एंटीबायोटिक ब्रोंकाइटिस और साइनस इंफेक्शन जैसी समस्याओं के इलाज के लिए ठीक रहती हैं। बाकी दवाएं, जैसे एंटी डिप्रेशन दवा अगर तय वक्त पर नियमित रूप से न ली जाएं तो काम करना बंद कर देती हैं। डॉक्टर से पूछे बिना दवाओं और घरेलू नुस्खों को मिलाएं नहीं।

8. गर्भनिरोधक गोलियां
गर्भनिरोधक गोलियां इस्तेमाल के दिन से ही काम नहीं करतीं। एक हफ्ते या कई बार एक महीने तक लगातार इस्तेमाल के बाद ही ये असर दिखाती हैं। ऐसे में इन्हें लेना शुरू करने के पहले दिन से निश्चिंत होने का दावा भ्रामक हो सकता है। लगातार तीन महीने के इस्तेमाल के बाद ही ये गोलियां पूरी तरह असरदार होती हैं। लगातार दो या इससे ज्यादा दिन तक गोली लेना भूल जाने से इसका असर कम हो जाता है।

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खाँसी का घरेलू सरल उपाय–
 

Sunday 25 August 2013

सर्वे भवन्तु सुखिनःसर्वे सन्तु निरामयः ---विजय राज बली माथुर

अक्सर लोग रुग्ण होने पर चिकित्सक के पास तो चले जाते हैं और निश्चिंत हो जाते हैं। परंतु यदि चिकित्सक द्वारा दिये गए इलाज के साथ-साथ इस स्तोत्र का प्रातः आठ बार एवं सोते समय आठ बार वाचन पश्चिम दिशा की ओर मुंह कर तथा धरती से इंसुलेशन बनाते हुये बैठ कर ,कर लें तो शीघ्र स्वस्थ्य लाभ होता है। 

इसी स्तोत्र का वाचन घर से निकलने से पूर्व एक बार कर लिया जाये तो यात्रा सुखद एवं निरापद रहती है। 

फेसबुक एवं ब्लाग्स पर तमाम लोग चिकित्सा संबंधी पोस्ट्स डालते रहते हैं। इस ब्लाग में उनमे से जनहितकारी पोस्ट्स का संकलन करके दिया जाएगा उनके लेखक के संदर्भ सहित। 

सर्वप्रथम दिल सम्बन्धी इस पोस्ट को दे रहे हैं -https://www.facebook.com/




रखो दिल का खयाल
साभार|NBT|नीतू सिंह|

आजकल दिल की बीमारियां तेजी से फैल रही हैं। 25-30 साल की उम्र में भी दिल की धड़कनों के दगा देने के मामले सामने आ रहे हैं। परेशानी की बात यह है कि इस उम्र में ध्यान न देने से बीमारी गंभीर हो जाती है और कई बार लाइलाज स्तर पर पहुंच जाती है।ऐसे में यह जरूरी है कि आप समय-समय पर रुटीन जांच कराते रहें और कोई समस्या होने पर डॉक्टर से सलाह लें।जिससे वक्त रहते समस्या पर काबू पाया जा सके।

10 बातें जो दिल को रखेंगी स्वस्थ

1. सेहतमंद डाइट
दिल की सेहत बनाए रखने के लिए अपने खानपान का खास खयाल रखें। आप क्या खा रहे हैं और कब खा रहे हैं, दोनों ही बातें महत्वपूर्ण हैं। सब्जियां, फल, साबुत अनाज और बहुत थोड़ी मात्रा में तेल, ये ऐसी चीजें हें जिन्हें रोजाना के खानपान का हिस्सा बनाने से दिल की सेहत अच्छी बनी रह सकती है।

2. वजन काबू में
मोटापा तमाम तरह की दिल की बीमारियों, ब्लडप्रेशर और डायबीटीज का खतरा बढ़ाता है इसलिए वजन को काबू में रखना बेहद जरूरी है। अलग-अलग तरह की एक्सरसाइज और खानपान का ध्यान रखकर मोटापे को काबू में रखा जा सकता है। बॉडी मास इंडेक्स 20 से 25 के बीच रखना जरूरी है।

3. योग और एक्सरसाइज
रोजाना 30 मिनट की ऐरोबिक एक्सरसाइज दिल की सेहत के लिए अच्छी मानी जाती है। रोजाना किया गया योग और मेडिटेशन तनाव को कम करने में सहायक है और अगर तनाव कम होगा, तो दिल का सामान्य स्वास्थ्य ठीक बना रहेगा। एक्सरसाइज, योग या मेडिटेशन सभी नहीं कर पाएं तो किसी एक का नियमित अभ्यास जरूर करें।

4. सक्रिय रहें
अगर योग और एक्सरसाइज के लिए आप नियमित रूप से वक्त नहीं निकाल पा रहे हैं तो खुद को शारीरिक रूप से सक्रिय रखें। लिफ्ट की बजाय सीढिय़ों का प्रयोग करें, गाड़ी दूर पार्क करके ऑफिस तक पैदल आएं। खुद को सक्रिय रखने के लिए ऐसे ही छोटे-छोटे कई दूसरे काम किए जा सकते हैं।

5. तनाव को बाय
तनाव तमाम बीमारियों की जड़ है। दिल की बीमारियां भी इनमें शामिल हैं। जिंदगी में कई बार ऐसे पल आते हैं, जब जबर्दस्त तनाव होता है, लेकिन इन पलों को ज्यादा लंबे समय तक न खिंचने दें। तनाव से निजात पाने के लिए दोस्तों से मिलें, सामाजिक बनें, स्थितियों को स्वीकारें, काम से छोटा ब्रेक लें।

6. स्मोकिंग और अल्कोहल छोड़ें
जरूरत से ज्यादा शराब पीने से ट्राइग्लिसरॉइड्स बढ़ सकते हैं। ट्राइग्लिसरॉइड्स खून में फैट की मात्रा होती है। ज्यादा अल्कोहल मोटापा, हार्ट फेलियर और हाई बीपी की वजह भी बन सकती है। इसी तरह धूम्रपान भी दिल के रोगों के लिए जिम्मेवार है। अल्कोहल और सिगरेट से परहेज करें और लेनी ही है तो बेहद कम मात्रा में लें।

7. अच्छी नींद लें
नींद की कमी से ब्लडप्रेशर और कॉलेस्ट्रॉल पर असर पड़ता है। नींद की कमी से तनाव में भी बढ़ोतरी होती है, जो कि दिल के रोगों के होने का अपने आप में कारण है। हालांकि नींद की जरूरत हर इंसान की अलग अलग हो सकती है, फिर भी मोटे तौर पर 7 से 8 घंटे की अच्छी नींद लेना जरूरी है।

8. खुलकर हंसें, मस्त रहें
जो लोग खुलकर ठहाके लगाकर हंसते हैं, उन्हें दिल की बीमारियां कम होती है। ज्यादा हंसने वालों का रक्त प्रवाह अच्छा बना रहता है और आर्टरीज को कठोर होने से रोकता है। दिल का स्वास्थ्य बेहतर बनाए रखने के लिए ठहाकेदार हंसी और हमेशा खुश रहना एक अचूक नुस्खा माना जाता है।

9. फैमिली हिस्ट्री का ध्यान
अगर आपके परिवार में किसी को दिल की बीमारी रही है तो आपको ज्यादा सचेत रहने की जरूरत है। आप अपने जींस को तो नहीं बदल सकते, लेकिन थोड़ा अलर्ट रहकर बीमारी को टाल जरूर सकते हैं। अपने डॉक्टर को फैमिली हिस्ट्री के बारे में बताएं और उनकी सलाह के मुताबिक लाइफस्टाइल में बदलाव करें।

10. डॉक्टर के पास जाएं
कई बार लोग सीने में दर्द, चक्कर आना या ऐसी ही दूसरी स्थितियों में लोग आमतौर पर डॉक्टर के पास नहीं जाते। कई बार लंबे समय तक यह पता ही नहीं चल पाता कि उन्हें दिल की बीमारी हो रही है। ऐसे में बेहतर यह है कि ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर और कॉलेस्ट्रॉल लेवल पर नजर रखी जाए।