Friday 27 June 2014

रसोई से इलाज एवं मुलेठी के कुछ औषधीय गुण





!!====मुलेठी (यष्टीमधु )====!! ======================= मुलेठी से हम सब परिचित हैं | भारतवर्ष में इसका उत्पादन कम ही होता है | यह अधिकांश रूप से विदेशों से आयातित की जाती है| मुलेठी की जड़ एवं सत सर्वत्र बाज़ारों में पंसारियों के यहाँ मिलता है | चरकसंहिता में रसायनार्थ यष्टीमधु का प्रयोग विशेष रूप से वर्णित है | सुश्रुत संहिता में यष्टिमधु फल का प्रयोग विरेचनार्थ मिलता है | मुलेठी रेशेदार,गंधयुक्त तथा बहुत ही उपयोगी होती है | यह ही एक ऐसी वस्तु है जिसका सेवन किसी भी मौसम में किया जा सकता है | मुलेठी वातपित्तशामक है | यह खाने में ठंडी होती है | इसमें ५० प्रतिशत पानी होता है | इसका मुख्य घटक ग्लीसराइज़ीन है जिसके कारण ये खाने में मीठा होता है | इसके अतिरिक्त इसमें घावों को भरने वाले विभिन्न घटक भी मौजूद हैं | मुलेठी खांसी,जुकाम,उल्टी व पित्त को बंद करती है | यह पेट की जलन व दर्द,पेप्टिक अलसर तथा इससे होने वाली खून की उल्टी में भी बहुत उपयोगी है |
 ------------------------------------------------मुलेठी के कुछ औषधीय गुण  :- --------------------------------------------------------------------- १- मुलेठी चूर्ण और आंवला चूर्ण २-२ ग्राम की मात्रा में मिला लें | इस चूर्ण को दो चम्मच शहद मिलाकर सुबह- शाम चाटने से खांसी में बहुत लाभ होता है |
 २- मुलेठी-१० ग्राम ,काली मिर्च -१० ग्राम ,लौंग -०५ ग्राम ,हरड़ -०५ ग्राम,मिश्री - २० ग्राम ऊपर दी गयी सारी सामग्री को मिलाकर पीस लें | इस चूर्ण में से एक चम्मच चूर्ण सुबह शहद के साथ चाटने से पुरानी खांसी और जुकाम,गले की खराबी, सिर दर्द आदि रोग दूर हो जाते हैं |
 ३- एक चम्मच मुलेठी का चूर्ण एक कप दूध के साथ लेने से पेशाब की जलन दूर हो जाती है |
 ४- मुलेठी को मुहं में रखकर चूंसने से मुहँ के छाले मिटते हैं तथा स्वर भंग (गला बैठना) में लाभ होता है |
 ५- एक चम्मच मुलेठी चूर्ण में शहद मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने से पेट और आँतों की ऐंठन व दर्द का शमन होता है |
 ६- फोड़ों पर मुलेठी का लेप लगाने से वो जल्दी पक कर फूट जाते हैं |

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Friday 6 June 2014

मीठी नीम,काली मिर्च,मसालों आदि से चिकित्सा







कढ़ी पत्ता या मीठी नीम
अक्सर हम भोजन में से कढ़ी पत्ता निकाल कर अलग कर देते है | इससे हमें उसकी खुशबु तो मिलती है पर उसके गुणों का लाभ नहीं मिल पाता |कढ़ी पत्ते को धो कर छाया में सुखा कर उसका पावडर इस्तेमाल करने से बच्चे और बड़े भी भी इसे आसानी से खा लेते है ,इस पावडर को हम छाछ और निम्बू पानी में भी मिला सकते है | इसे हम मसालों में , भेल में भी डाल सकते है | इसकी छाल भी औषधि है | हमें अपने घरों में इसका पौधा लगाना चाहिए |
- कढ़ी पत्ता पाचन के लिए अच्छा होता है ,यह डायरिया , डिसेंट्री,पाइल्स , मन्दाग्नि में लाभकारी होता है | यह मृदु रेचक होता है |
- यह बालों के लिए बहुत उत्तम टॉनिक है , कढ़ी पत्ता बालों को सफ़ेद होने से और झड़ने से रोकता है |
- इसके पत्तों का पेस्ट बालों में लगाने से जुओं से छुटकारा मिलता है |
- कढ़ी पत्ता पेन्क्रीआज़ के बीटा सेल्स को एक्टिवेट कर मधुमेह को नियंत्रित करता है |
- हरे पत्ते होने से आयरन , जिंक ,कॉपर , केल्शियम ,विटामिन ए और बी , अमीनो एसिड ,फोलिक एसिड आदि तो इसमें होता ही है |
- इसमें एंटी ऑक्सीडेंट होते है जो बुढापे को दूर रखते है और कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने नहीं देते .
- जले और कटे स्थान पर इसके पत्ते पीस कर लगाने से लाभ होता है .
- जहरीले कीड़े काटने पर इसके फलों के रस को निम्बू के रस के साथ मिलाकर लगाने से लाभ होता है |
- यह किडनी के लिए लाभकारी होता है |
- यह आँखों की बीमारियों में लाभकारी होता है इसमें मौजूद एंटी ओक्सीडेंट केटरेक्ट को शुरू होने से रोकते है ,यह नेत्र ज्योति को बढाता है .
- यह कोलेस्ट्रोल कम करता है |
- यह इन्फेक्शन से लड़ने में मदद करता है |
- वजन कम करने के लिए रोजाना कुछ मीठी नीम की पत्तियाँ चबाये|
प्रतिदिन भोजन में कढ़ी पत्ते को दाल , सब्ज़ी में डालकर या चटनी बनाकर प्रयोग किया जा सकता है , जिस प्रकार दक्षिण भारत में किया जाता है |

Sunday 25 May 2014

आम के फायदे





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आम खाने के लाजवाब फायदे:
1. ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है
आम में प्रचूर मात्रा में विटामिन पाए जाते हैं, जिससे स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है। हाई ब्लड प्रेशर के रोगी के लिए आम एक प्राकृति उपचार है, क्योंकि इसमें पोटेशियम (156 मिलीग्राम में 4 प्रतिशत) और मैग्निशियम (9 मिलीग्राम में 2 प्रतिशत) भारी मात्रा में पाए जाते हैं।

2. कैंसर के खतरे को कम करता है और कोलेस्ट्रोल की मात्रा घटाता है
आम में एक घुलनशील आहार संबंधी फाइबर पेक्टिन पाया जाता है। पेक्टिन ब्लड कोलेस्ट्रोल लेवल को कम करने में प्रभावी रूप से कार्य करता है। यह हमें ग्रंथि में होने वाले कैंसर से भी बचाता है।

3. वजन बढ़ाने में मददगार
आम का सेवन करना वजन बढ़ाने का सबसे आसान तरीका है। 150 ग्राम आम में करीब 86 कैलोरी ऊर्जा होती है, जो हमारे शरीर द्वारा आसानी से अवशोषित कर ली जाती है। इतना ही नहीं, आम में स्टार्च पाया जाता है, जो सूगर में परिवर्तित होकर अंतत: वजन को बढ़ाता है।

4. पाचन प्रक्रिया में सहायक
आम अपच और एसीडीटी जैसी समस्याओं को भी दूर करता है। आम में पाए जाने वाले एंजाइम्स भोजन को पचाने में मदद करते हैं।

5. एनीमिया का उपचार
जो लोग एनियामा से ग्रसित हैं, उनके लिए आम काफी फायदेमंद होता है। क्योंकि इसमें प्रचूर मात्रा में आइरन पाया जाता है। नियमित और पर्याप्त रूप से आम का सेवन शरीर में खून की मात्रा बढ़ा देता है, जिससे एनीमिया जैसी बीमारी दूर रहती है।

6. गर्मवती महिला के लिए लाभदायक
गर्मवती महिला को आयरन की विशेष जरूरत होती है। इसलिए उनके लिए आम काफी लाभदायक होता है। यूं तो डॉक्टर आयरन की गोली लेने की सलाह देते हैं, पर अगर आप चाहें तो आयरन से भरपूर आम के जूस का सेवन भी कर सकते हैं।

7. मुंहासे को रखे दूर
आम त्वचा पर होने वाले मंहासे पर भी प्रभावी रूप से असर करता है। यह मुंहासे के बंद पड़े छिद्रों को खोल देता है। एक बार जब यह छिद्र खुल जाते हैं, तो मुंहासों का निर्माण अपने-आप बंद हो जाता है। देखा जाए तो त्वचा के बंद पड़े छिद्रों को खोलना ही मुंहासों से छुटकारा पाने से सबसे अच्छा तरीका है। पर इसके लिए आपको नियमित आम खाने की जरूरत नहीं है। आप आम के गूदे को त्वचा पर लगाएं और 10 मिनट बाद धो लें।

8. समय से पहले बुढ़ापे को रोकता है
आम में बड़ी मात्रा में विटामिन A और विटामिन C पाए जाते हैं, जो कि शरीर के अंदर कोलाजेन प्रोटीन के निर्माण में सहायक होते हैं। कोलाजेन ब्लड वेसल और शरीर के कनेक्टिव टिशू को सुरक्षित रखता है, जिससे त्वचा की उम्र ढलने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है।

9. मस्तिष्क को बनाए स्वस्थ्य
आम में विटामिन B-6 प्रचूर मात्रा में पाया जाता है, जो कि मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभाता है।

10. शरीर की प्रतिरक्षा क्षमता को बढ़ाता है
गाजर की तरह आम में भी बीटा-केरोटीन और कार्टेन्वाइड उच्च मात्रा में पाया जाता है। आम में पाए जाने वाले यह तत्व शरीर की प्रतिरक्षा क्षमता को बेहतर और मजबूत बनाते हैं।

Saturday 24 May 2014

जौ(Barley),इमली से लू का बचाव :कपूर से दर्द भगाएँ





जौ(Barley) -----
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प्राचीन काल से जौ का उपयोग होता चला आ रहा है। कहा जाता है कि प्राचीन काल में ऋषि-मुनियों का आहार मुख्यतः जौ थे। वेदों ने भी यज्ञ की आहुति के रूप में जौ को स्वीकार किया है। गुणवत्ता की दृष्टि से गेहूँ की अपेक्षा जौ हलका धान्य है। उत्तर प्रदेश में गर्मी की ऋतु में भूख-प्यास शांत करने के लिए सत्तू का उपयोग अधिक होता है। जौ को भूनकर, पीसकर, उसके आटे में थोड़ा सेंधा नमक और पानी मिलाकर सत्तू बनाया जाता है। कई लोग नमक की जगह गुड़ भी डालते हैं। सत्तू में घी और चीनी मिलाकर भी खाया जाता है।
जौ का सत्तू ठंडा, अग्निप्रदीपक, हलका, कब्ज दूर करने वाला, कफ एवं पित्त को हरने वाला, रूक्षता और मल को दूर करने वाला है। गर्मी से तपे हुए एवं कसरत से थके हुए लोगों के लिए सत्तू पीना हितकर है। मधुमेह के रोगी को जौ का आटा अधिक अनुकूल रहता है। इसके सेवन से शरीर में शक्कर की मात्रा बढ़ती नहीं है। जिसकी चरबी बढ़ गयी हो वह अगर गेहूँ और चावल छोड़कर जौ की रोटी एवं बथुए की या मेथी की भाजी तथा साथ में छाछ का सेवन करे तो धीरे-धीरे चरबी की मात्रा कम हो जाती है। जौ मूत्रल (मूत्र लाने वाला पदार्थ) हैं अतः इन्हें खाने से मूत्र खुलकर आता है।
जौ को कूटकर, ऊपर के मोटे छिलके निकालकर उसको चार गुने पानी में उबालकर तीन चार उफान आने के बाद उतार लो। एक घंटे तक ढककर रख दो। फिर पानी छानकर अलग करो। इसको बार्ली वाटर कहते हैं। बार्ली वाटर पीने से प्यास, उलटी, अतिसार, मूत्रकृच्छ, पेशाब का न आना या रुक-रुककर आना, मूत्रदाह, वृक्कशूल, मूत्राशयशूल आदि में लाभ होता है।

औषधि-प्रयोगः
धातुपुष्टिः एक सेर जौ का आटा, एक सेर ताजा घी और एक सेर मिश्री को कूटकर कलईयुक्त बर्तन में गर्म करके, उसमें 10-12 ग्राम काली मिर्च एवं 25 ग्राम इलायची के दानों का चूर्ण मिलाकर पूर्णिमा की रात्रि में छत पर ओस में रख दो। उसमें से हररोज सुबह 60-60 ग्राम लेकर खाने से धातुपुष्टि होती है।
गर्भपातः 
जौ के आटे को एवं मिश्री को समान मात्रा में मिलाकर खाने से बार-बार होने वाला गर्भपात रुकता है।



Tuesday 20 May 2014

पुदीना,शहद,बेल आदि से प्रकृतिक उपचार

http://religion.bhaskar.com/article/FM-AN-yoga-mint-tea-benefits-4582076-PHO.html
उज्जैन। गर्मी में पुदीना खाने का टेस्ट बढ़ाने के लिए उपयोग में लाया जाता है। बहुत ही कम लोग जानते हैं कि ये एक बहुत अच्छी औषधि भी है यह गर्मी झेलने की शक्ति रखता है। पुदीने को गर्मी और बरसात की संजीवनी बूटी कहा गया है। इसकी स्वाद और सुगंध दोनों ही बहुत लाभदायक है। पुदीना विटामिन-ए से भरपूर होता है। पुदीने की चटनी स्वादिष्ट तो होती ही है, यह सेहत के लिए भी फायदेमंद है। पुदीने का अर्क दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। 

पुदीना कफ, गैस, उल्टी, पेट दर्द, बुखार, दस्त और मतली में बहुत फायदेमंद होता है। सिरदर्द और त्वचा रोग में लाभकारी होता है। इसीलिए पुदीने के पौधे में कैफीन नहीं होता है। जिसकी वजह से यह बहुत सारे रोगों से लड़ने में भी मदद करता है, आइए जानते हैं पुदीने की चाय पीने से होने वाले फायदों के बारे में ....
- जिन लोगों को गैस व एसिडिटी की समस्या रहती है, उन्हें खाने के बाद एक कप पुदीना चाय पीना चाहिए। इससे पेट दर्द, गैस व एसिडिटी जैसी सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं।

- बस, कार और ट्रेन में चक्कर और मतली कि परेशानी होती है तो इससे बचने के लिए घर से निकलने से पहले एक कप  पुदीने की गर्म चाय पीना चाहिए।
- पुदीना हमारे पाचन तंत्र को स्वस्थ बनाता है, यह दर्द को भी खत्म करता है। साथ ही, पाचन क्रिया को सुधरता है और भोजन को पचाने में भी मदद करता है।

- पुदीना पिंपल्स में बहुत लाभदायक होता है। इसमें मेंथोल होता है जो त्वचा को ठंडक देता है, इसकी शीतलता तैलीय त्वचा को सॉफ्ट बना देती है।

-  स्किन पर जलन की समस्या में पुदीना चाय दवा का काम करती है। यह चकत्ते, जलन, कीड़े के काटने, खुजली और त्वचा में सूजन जैसी त्वचा समस्याओं का इलाज करने में भी सहायक है।
- पुदीने की चाय के नियमित इस्तेमाल से बाल खूबसूरत होने लगते हैं। इसकी चाय में कुछ ऐसे भी गुण होते हैं, जिससे बाल चमकीले और घने हो जाते हैं।

- गर्मी के मौसम में लू लगने से बचने के लिए पुदीने की चटनी को प्याज डालकर बनाएं। अगर इसका सेवन नियमित रूप से किया जाए तो लू लगने की आशंका खत्म हो जाती है।

- नमक के पानी के साथ पुदीने के रस को मिलाकर कुल्ला करें तो गले की खराश और आवाज का भारीपन दूर हो जाता है। आवाज साफ हो जाती है।

- एक गिलास पानी में 8-10 पुदीने की पत्तियां, थोड़ी-सी काली मिर्च और जरा सा काला नमक डालकर उबालें। 5-7 मिनट उबालने के बाद पानी को छानकर पिएं, खांसी, जुकाम और बुखार से राहत मिलेगी।
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