Tuesday 6 October 2015

गुर्दे की बीमारी से कैसे बचा जाए? --- -अयोध्याप्रसाद भारती

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क्यों हो जाती है,किडनी की बीमारियां :


हम किडनी फेल होने के दौर में हैं। जी हां, गुर्दे तेजी से साथ छोड़ रहे हैं। पहले आइए जानें कि किडनी या गुर्दे क्या बला हैं? रीढ़ की हड्डी के दोनों सिरों पर बीन की शक्ल के दो अंग होते हैं जिन्हें हम किडनी या गुर्दे के नाम से जानते हैं। हमारे शरीर के रक्त का काफी बड़ा हिस्सा गुर्दों से होकर गुजरता है। गुर्दों में मौजूद लाखों नेफ्रोन नलिकाएं रक्त छानकर शुध्द करती है। रक्त के अशुध्द भाग को मूत्र के रूप में अलग भेजती हैं। अगर गुर्दे स्वस्थ न हों, अर्थात वे ठीक से काम न कर रहे हों तो रक्त शुध्द न होगा और जब रक्त शुध्द न होगा तो हम बीमार पड़ जाएंगे और जल्दी ही हमारी मौत हो जाएगी। जब गुर्दे अपना काम ठीक से न कर पा रहे हों तो आदमी को डायलिसिस मशीन पर रखा जाता है। मशीन रक्त साफ करती हैं। गुर्दे खराब हो जाने की दशा में स्थायी इलाज यह होता है कि आदमी के गुर्दे बदल दिए जाएं। लेकिन गुर्दे बदलना आसान काम नहीं है। पहले तो गुर्दा आसानी से मिलता नहीं, मिले भी तो खर्च लाखों में आता है।
विशेषज्ञों के मुताबिक किडनी की बीमारियों की शुरूआती अवस्था में पता नहीं चल पाता। इस कारण किडनी की बीमारियों से काफी अधिक मौतें होती हैं। किडनी के लिए मधुमेह, पथरी और हाईपरटेंशन अत्यंत जोखिम भरे हैं। इनमें किडनी के मामले में हाईपरटेंशन और मधुमेह लक्षण के रूप में सामने नहीं आ पाते। जब किडनी काफी खराब हो जाती है तब पता चलता है ऐसे में सामान्य इलाज कारगर नहीं रह पाता। तब जोखिम और जटिलता बढ़ जाती है। डायलेसिस पर कुछ समय तो आदमी को जिंदा रखा जा सकता है परंतु खर्च और परेशानियां अनंत है।
जानकारों के अनुसार, किडनी के मरीजों में से एक चौथाई में किडनी में गड़बड़ी का कोई कारण ज्ञात नहीं होता है। इस गड़बड़ी के कारणों में एंटीबायोटिक्स और दर्द निवारकों का अत्यधिक इस्तेमाल भी हो सकता है। मधुमेह के शिकार लगभग 30 प्रतिशत लोगों को किडनी की बीमारी हो जाती है और किडनी की बीमारी से ग्रस्त एक तिहाई लोग मधुमेह पीड़ित हो जाते हैं। इससे यह तय है कि इन दोनों का आपस में कोई ताल्लुक है। इसके अलावा लंबे समय से हाईपरटेंशन के शिकार लोगों को किडनी की बीमारी का खतरा 3-4 गुना बढ़ जाता है। गुर्दों की बीमारी के लिए दूषित खान-पान और दूषित वातावरण मुख्य माना जाता है। दूषित मांस, मछली, अंडा, फल और भोजन तथा पानी गुर्दे की बीमारी की वजह बन सकते हैं। बढ़ते औद्योगीकरण, शहरीकरण और वाहनों के कारण पर्यावरण प्रदूषण अत्यधिक बढ़ गया है। अधिक से अधिक पैसा कमाने या बेरोजगार हो जाने, भविष्य की चिंता में आज आदमी हर तरह के वातावरण में अधिक से अधिक समय तक काम करता है। बहुत से ऐसे हैं, जिन्हें हफ्तों-महीनों घर का शुध्द-स्वच्छ भोजन नसीब नहीं होता। वे होटलों-ढाबों पर दूषित भोजन खाते हैं। इस दौर में दूषित बाजारू पेय पदार्थों पर हमारी निर्भरता बढ़ गई है। कोल्ड ड्रिंक्स, लस्सी, जूस, सादा पानी कोई भी पूर्ण सुरक्षित नहीं है। इनमें कीटाणुनाशकों, रासायनिक खादों, डिटरजेंट, साबुनों, औद्योगिक रसायनों के अंश पाए जाते हैं। ऐसे में फेफड़े और जिगर तथा गुर्दे सुरक्षित नहीं है इसलिए गुर्दों के मरीज बेतहाशा बढ़ गए हैं। गुर्दों के मरीज बढ़ने से गुर्दे चुराने की घटनाएं भी बढ़ी हैं। गरीबी-बदहाली से त्रस्त लोग एक गुर्दा बेचने को तैयार हो जाते हैं। विदर्भ (महाराष्ट्र) के किसानों ने तो कर्जे उतारने के लिए गुर्दा बेचने का एक मेला लगाने का ऐलान कर उसके उद्धाटन हेतु राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री को निमंत्रित कर देश को चौंका दिया था।

अब प्रश्न है कि गुर्दे की बीमारी से कैसे बचा जाए? :

स्वच्छ खान-पान, शुध्द वायु (प्रात:काल) में सामान्य व्यायाम, तनाव से बचाव और पौष्टिक भोजन से आप ठीक रहेंगे। अगर आमदनी कम हो तो विलासिता की चीजों पर खर्चा न करें उसे बचाएं और उसे अच्छे खान-पान में लगाएं पर्याप्त नींद लें। पानी अशुध्द होने की आशंका हो तो ठीक से उबालकर पिएं। बाजारू तैयार खाद्य, पेय, पदार्थ व ढाबों इत्यादि में भोजन करने से बचें। सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि हर प्रकार के संक्रमण से बचें।

:(-अयोध्याप्रसाद भारती)
26 मई 2009 
साभार : 


Monday 5 October 2015

घुटनों का दर्द और गठिया का घरेलू उपचार --- प्रस्तोता डॉ आरती कुलश्रेष्ठ

डॉ आरती कुलश्रेष्ठ


घुटनों के दर्द का घरेलू उपचार :

. एक चम्मच हल्दी में एक चम्मच बूरा एवं थोड़ा सा चूना मिलाकर पानी की सहायता से एक लेप तैयार कर लीजिये। यह लेप रात को घुटनों पर लगा कर सो जाये एवं सुबह धो लीजिये। इससे घुटनों का दर्द जल्द ही समाप्त हो जाएगा।

2. एक चम्मच सोंठ के पाउडर अर्थात सुखी अदरक के पाउडर में एक चम्मच सरसो का तेल डालकर एक लेप तैयार कर लीजिये। इसे कुछ देर घुटनों पर लगाने से आपको जल्द दर्द से राहत मिल सकती है।
3. चार पांच बादाम,चार पांच काली मिर्च, एवं दस एग्यारह मुन्नक्का चबा चबा कर खाए उसके साथ एक गिलास दूध पी लीजिये। इससे जल्द आपको घुटनों के दर्द से राहत मिलेगी।
यदि आपके घुटने स्वस्थ रहेंगे तभी आब ज़िन्दगी की भागदौड़ में कामयाब हो पाएंगे । अतः इन नुस्खों को अपनाएं और घुटने के दर्द को भूल जाएँ । 

क्या आपको है अर्थराइटिस? करें खानपान में ये 6 बदलाव--- आहार विशेषज्ञ नैनी सीतलवाड़:

1-अर्थराइटिस की समस्या में हेल्दी फैट्स खाना भी बहुत जरूरी होता है। ये फैट्स आपके जोड़ों में चिकनाई लाते हैं (या उन्हें लुब्रिकेट करते हैं)। अगर आपको अर्थराइटिस है तो अखरोट, काजू, पिस्ता, सूरजमुखी के बीज, अलसी के बीज, तिल आदि ज़रूर खाएं। अपनी रोटियों में थोड़ा घी भी लगाएं।

2-अगर आप अर्थराइटिस के तकलीफ से छुटकारा पाना चाहते हैं तो आपको अपने खाने में लहसुन, अदरक और प्याज़ शामिल करना चाहिए। साथ ही, हरी मिर्च से लेकर शिमला मिर्च तक, हर तरह की मिर्च का सेवन करना चाहिए। लौंग व इलायची भी अर्थराइटिस में फायदेमंद होता है।

3-टमाटर, नींबू, आंवला, इमली, डेयरी उत्पाद आदि से परहेज़ करें। ये चीज़ें आपके जोड़ों का दर्द बढ़ा सकती हैं। हालांकि इसका एक नुकसान भी है, इनके परहेज़ से आपको विटामिन सी की कमी हो सकती है। विटामिन सी की कमी से बचने के लिए रोज़ अमरूद और कोकम खाएं। ये आपके शरीर की सूजन को भी दूर करेंगे।

4-अपनी रोटी के आटे में ज्वार, रागी, बाजरा आदि का आटा भी मिलाएं। इन अनाजों में ऐसे पोषक तत्व होते हैं जो आपके जोड़ों को अर्थराइटिस से राहत पहुंचा सकते हैं।

5 -मैदा, वाइट शुगर और साधारण नमक का परहेज़ करना भी ज़रूरी है। आप खजूर और गुड़ जैसी मीठी चीज़ें खा सकते हैं। साथ ही, साधारण नमक के बजाय समुद्री नमक लें। इस नमक में ऐसे मिनरल होते हैं जो दर्द दूर करने के लिए जाने जाते हैं।

6 -अर्थराइटिस होने पर, विटामिन बी 12 और डी 3 स्तर पर नज़र रखना ज़रूरी है। अगर दोनों के स्तर कम है, तो डॉक्टर से परामर्श करके आप सप्लीमेंट लें। आमतौर पर अर्थराइटिस में इन दोनों के स्तर कम ही होते हैं।





Sunday 4 October 2015

तुलसी और छाछ

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Thursday 24 September 2015

चिकित्सक के बिना चिकित्सा

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Tuesday 4 August 2015

पाचन-तंत्र को पूरी तरह स्वस्थ रखें --- Dr-Rajesh Kumar Yadav

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Dr-Rajesh Kumar Yadav खाने से जुड़ी इन बातों को याद न रखा तो कभी नहीं रह पाएंगे पूरी तरह स्वस्थ

खाने के विषय में हर व्यक्ति की अलग सोच और पसंद होती है। लेकिन खाने से जुड़ी कुछ गलतफहमियां ऐसी हैं जो हम में से अधिकांश लोगों को है। जैसे ज्यादा खाने से या मेवे व घी ज्यादा खाने
से सेहत बनती है। ऐसी ही कुछ गलतफहमियां हैं। जिन्हे आज हम आपको बताने जा रहे हैं। ये खाने से जुड़ी कुछ ऐसी ही बातें हैं। जिनसे परिचित होना बहुत जरूरी है क्योंकि जब तक आप खाने से जुड़ी इन बातों से परिचित नहीं होंगे तब तक आप पूरी तरह स्वस्थ नहीं रह पाएंगे।

- आवश्यकता और पचाने के क्षमता से अधिक भोजन शरीर को ताकत की बजाय अधिक कमजोर ही बनाता है। इसलिए ज्यादा न खाएं।

- पहले खाए हुए के पचने से पूर्व ही दोबारा खा लेने पर पाचन-तंत्र गड़बड़ा जाता है। इसलिए एक बार खाने के बाद पूरी तरह पेट खाली होने पर ही कुछ खाएं।

- ज्यादा घी-दूध, मेवे-मिठाई और पकवान खाने से नही बल्कि ऐसी भारी चीजों को पचाने क्षमता से शरीर की ताकत बढ़ती है। पाचन-शक्ति से अधिक पोष्टिक भोजन करने से कब्जियत की समस्या होने लगती है। इसलिए इन चीजों को अपनी पाचन शक्ति के अनुसार ही खाएं।

- बेमेल भोजन करने से भी शरीर की शक्ति बर्बाद होती है। इसलिए ठंडा-गर्म या जिन चीजों का एक साथ सेवन निषिद्ध माना गया है। उनके सेवन से बचें।

- पर्याप्त परिश्रम या शारीरिक मेहनत करने से पहले ही बार-बार भोजन करते रहने से धीरे-धीरे शरीर बीमारियों का घर बनने लगता है।

- यह सोचना गलत है कि अंडे और मांसाहार करने से शरीर शक्तिशाली बनता है, आप रूखा-सूखा या शाकाहारी भोजन करके भी सर्वशक्तिशाली बन सकते हैं, बशर्ते आप की पाचन-शक्ति अच्छी होना चाहिये। शक्ति का प्रतीक घोड़ा जिंदगी भर सिर्फ घांस खाकर भी शक्तिशाली बन जाता है।

- 25-30 की उम्र पार करने बाद शरीर में पहले जैसी पाचन-शक्ति नहीं रह जाती इसीलिये 30 की आयु के बाद डटकर खाने की आदत को छोड़ देना चाहिये।

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